जवाहर कला केन्द्र में वागड़ के चित्रकार दीपक भट्ट के चित्रों की प्रदर्शनी
जयपुर। वागड़ क्षेत्र के गढ़ी के चित्रकार डाॅ. दीपक भट्ट के चित्रों की प्रदर्शनी जयपुर के जवाहर कला केन्द्र में आयोजित की जा रही है, जो 22 नवम्बर तक चलेगी। इस प्रदर्शनी में समकालीन कला के इस दौर में दीपक के 'स्टारलाइज्ड' आकृति मूलक चित्र जीवन की हलचल, उन्माद, मौजमस्ती तथा विविध आनंददायी क्षणों को नये रूप से परिभाषित करते दिखते हैं।
तकनीकी रूप से आकारों में सम्मुख चेहरे बड़ी-फटी सी आंखे, लंबोतरे आकार, अधिक लंबे पांव, गहरे धूसर-चटख रंगों में ये आकृतियां मानो दर्शक से सीधे संवाद करती प्रतीत होती है। समकालीन कला के इस आधुनिक दौर में जनजातीय लोगों की स्वच्छन्दता तथा आनंददायी क्षण उनकी चित्र प्रेरणा बने। किस तरह से सरल, जमीन से जुड़े लोगों में आधुनिकता ने प्रवेश किया यह दीपक की कृतियां 'लेट्स डांस' विक्ट्री, 'सेल्फीटाइम' चित्रों में देखा जा सकता है।
दीपक की कला यात्रा की वास्तविक शुरूआत उदयपुर में स्नातकोत्तर के अध्ययन के दौरान हुई, जिसमें वे पेंटिंग के साथ ग्राफिक्स में विषेष प्रयोग कर सके। 1999 की राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में दीपक की 'द ट्रेन' ग्राफिक को राजस्थान ललित कला अकादमी दिल्ली द्वारा प्रदर्शनी के लिए आमंत्रित किया गया तथा राजस्थान ललित कला अकादमी से दो बार राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया, जिसके बाद वे अपने कला सृजन में अनवरत जुट गए।
तकनीकी रूप से आकारों में सम्मुख चेहरे बड़ी-फटी सी आंखे, लंबोतरे आकार, अधिक लंबे पांव, गहरे धूसर-चटख रंगों में ये आकृतियां मानो दर्शक से सीधे संवाद करती प्रतीत होती है। समकालीन कला के इस आधुनिक दौर में जनजातीय लोगों की स्वच्छन्दता तथा आनंददायी क्षण उनकी चित्र प्रेरणा बने। किस तरह से सरल, जमीन से जुड़े लोगों में आधुनिकता ने प्रवेश किया यह दीपक की कृतियां 'लेट्स डांस' विक्ट्री, 'सेल्फीटाइम' चित्रों में देखा जा सकता है।
दीपक की कला यात्रा की वास्तविक शुरूआत उदयपुर में स्नातकोत्तर के अध्ययन के दौरान हुई, जिसमें वे पेंटिंग के साथ ग्राफिक्स में विषेष प्रयोग कर सके। 1999 की राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में दीपक की 'द ट्रेन' ग्राफिक को राजस्थान ललित कला अकादमी दिल्ली द्वारा प्रदर्शनी के लिए आमंत्रित किया गया तथा राजस्थान ललित कला अकादमी से दो बार राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया, जिसके बाद वे अपने कला सृजन में अनवरत जुट गए।
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