हैंडमेड गारमेंट इंडस्ट्री को हरित उत्पादन बनाने के लिए ‘‘गोइंग ग्रीन’’ का आयोजन
जयपुर। भारतीय कपडा उद्योग में हस्त निर्मित कपडे का विशेष महत्व है जैसे हैण्डलूम, हाथ ठप्पा छपाई इत्यादि। यह कार्य हमारी परंपरागत धरोहर होने के साथ ही विश्व स्तरीय कपडा व्यवसाय में विशेष हिस्सेदारी रखता है। इसके साथ ही यह व्यवसाय बहुत बड़ी संख्या के लिये रोजगार का साधन है। इन सबके बावजूद आज इस व्यवसाय को आगे बढ़ाने में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनके बारे में चर्चा कर उनका समाधान ढूंढने के लिए जयपुर में आज यूरोपियन यूनियन द्वारा वित्त पोषित ‘‘गोइंग ग्रीन’’ प्रोजेक्ट के अन्तर्गत बील्डिगं ग्रीन प्रोडक्शन सिस्टम एवं ग्रीन बिजनेसेज विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में राजस्थान सरकार के एमएसएमई इंडस्ट्री के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी राजीव स्वरूप मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे।
कार्यक्रम का आयोजन हैल्थ एंड सोशल डेवलपमेंट रिसर्च सेंटर, जयपुर के द्वारा ट्रेडक्राफ्ट एवं आईका के सहयोग से किया गया। इस सेमिनार में प्रदेशभर से हैंडीक्राफ्ट व्यवसाय से जुड़ी संस्थाएं व प्रतिनिधि सम्मिलीत हुए, जिसमे काफी संख्या में महिलाएं भी शामिल थी। इस सेमिनार में हैंडीक्राफ्ट व्यवसाय में पेश आने वाली समस्याओं के बारे में विस्तार से चर्चा की और उनका समाधान ढूंढने के प्रयास किए गए।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एडिशनल चीफ सेक्रेटरी राजीव स्वरुप ने कहा कि गोइंग ग्रीन के माध्यम से हैंडीक्राफ्ट व्यवसाय को पर्यावरण संरक्षण और इको फ्रेंडली बनाए जाने की आवश्यक है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कारीगर को कला एवं तकनीक से भी अपडेट रहना चाहिए, जिससे आप नयी डिजाइंस के साथ हेंडीक्राफ्ट उत्पाद बना सकें। उन्होंने कहा कि राजस्थान की हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री देश के साथ ही विदेशों में भी विशेष पहचान रखता है, जिसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की कपडा उद्योग में हाथ-ठप्पा छपाई के कार्य में इस्तेमाल की जाने वाली डाइज में उन कैमिकल्स का इस्तेमाल न हो, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले हैं क्योकि आज अन्तराष्ट्रीय स्तर पर इसका विशेष महत्व है।
पंजाब नेशनल बैंक की जोनल मैनेजर कल्पना गुप्ता ने कहा कि हैंडीक्राफ्ट व्यवसाय के कार्य के लिए आज सरकार की ओर से भी कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही है और बैंकों की ओर से भी लोन दिया जा रहा है, लेकिन लोन लेने के लिए आवश्यक है कि आपका बैंक में खाता हों और उनके साथ केवाईसी अपडेट होनी चाहिए। साथ ही आपके व्यवसाय के बारे में पूरी जानकारी के दस्तावेज तैयार होने चाहिए। उन्होंने कहा कि मजबूत इच्छाशक्ति के साथ किया जाना वाला कार्य जरूर मंजिल तक पहुंचता है।
आईका की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर मधुरा दत्ता ने कहा कि आज मार्केट में हैंडीक्राफ्ट उत्पादों की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और हर दिन नई नई डिजाइन्स और तकनीक आने लगी है, जिनके बारे में आपको अवेयर रहना चाहिए। हैंडीक्राफ्ट का कार्य काफी मेहनत और कला का कार्य है, जिसे वर्तमान में सहजे जाने और समुचित प्रयास कर बचाए जाने की आवश्यकता है।
हेल्थ एंड सोशल डेवलपमेंट रिसर्च सेंटर की मृदुला चंद्रा ने कहा कि दुनियाभर में अपनी विशेष पहचान रखने वाले राजस्थानी हस्त निर्मित वस्त्र व्यवसाय के सामने कई प्रकार की चुनौतियां है, जैसे कपडें की उत्पादन प्रक्रिया को पर्यावरण अनुरुप बनाना, जिसके कारण इस व्यवसाय पर संकट मंडराता हुआ नजर आ रहा है। आवश्यकता है कि इस व्यवसाय को पर्यावरण फ्रेंडली बनाया जाकर बचाने के प्रयास किए जाये। साथ ही आज इस परंपरागत व्यवसाय को बचाने के लिए सरकार की ओर से भी आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के साथ साथ प्रक्रियाओं को सरल बनाने की आवश्कता है।
सेमिनार के दौरान तीन सेशन में अलग अलग क्षेत्रों से जुड़े अधिकारियों एवं संस्थाओं के पदाधिकारियों ने पैनल डिस्कशन के माध्यम से सेमिनार में आए विभिन्न संस्थाओं, कलाकारों एवं वस्त्र व्यवसाइयों के साथ चर्चा की, जिसमे हैंडीक्राफ्ट व्यवसाय की समस्याओं को दूर करने और आगे बढ़ाए जाने के बारे में सवाल-जवाब किए गए, जिसमें व्यापार के लिये आर्थिक सहयोग, डिजाईनिंग, मार्केटिंग, दस्तकारों के बौद्धिक अधिकार, ब्राडिंग व दस्तकारों की जिम्मेदारियां आदि पर चर्चा की गई।
कार्यक्रम का आयोजन हैल्थ एंड सोशल डेवलपमेंट रिसर्च सेंटर, जयपुर के द्वारा ट्रेडक्राफ्ट एवं आईका के सहयोग से किया गया। इस सेमिनार में प्रदेशभर से हैंडीक्राफ्ट व्यवसाय से जुड़ी संस्थाएं व प्रतिनिधि सम्मिलीत हुए, जिसमे काफी संख्या में महिलाएं भी शामिल थी। इस सेमिनार में हैंडीक्राफ्ट व्यवसाय में पेश आने वाली समस्याओं के बारे में विस्तार से चर्चा की और उनका समाधान ढूंढने के प्रयास किए गए।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एडिशनल चीफ सेक्रेटरी राजीव स्वरुप ने कहा कि गोइंग ग्रीन के माध्यम से हैंडीक्राफ्ट व्यवसाय को पर्यावरण संरक्षण और इको फ्रेंडली बनाए जाने की आवश्यक है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कारीगर को कला एवं तकनीक से भी अपडेट रहना चाहिए, जिससे आप नयी डिजाइंस के साथ हेंडीक्राफ्ट उत्पाद बना सकें। उन्होंने कहा कि राजस्थान की हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री देश के साथ ही विदेशों में भी विशेष पहचान रखता है, जिसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की कपडा उद्योग में हाथ-ठप्पा छपाई के कार्य में इस्तेमाल की जाने वाली डाइज में उन कैमिकल्स का इस्तेमाल न हो, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले हैं क्योकि आज अन्तराष्ट्रीय स्तर पर इसका विशेष महत्व है।
पंजाब नेशनल बैंक की जोनल मैनेजर कल्पना गुप्ता ने कहा कि हैंडीक्राफ्ट व्यवसाय के कार्य के लिए आज सरकार की ओर से भी कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही है और बैंकों की ओर से भी लोन दिया जा रहा है, लेकिन लोन लेने के लिए आवश्यक है कि आपका बैंक में खाता हों और उनके साथ केवाईसी अपडेट होनी चाहिए। साथ ही आपके व्यवसाय के बारे में पूरी जानकारी के दस्तावेज तैयार होने चाहिए। उन्होंने कहा कि मजबूत इच्छाशक्ति के साथ किया जाना वाला कार्य जरूर मंजिल तक पहुंचता है।
आईका की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर मधुरा दत्ता ने कहा कि आज मार्केट में हैंडीक्राफ्ट उत्पादों की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और हर दिन नई नई डिजाइन्स और तकनीक आने लगी है, जिनके बारे में आपको अवेयर रहना चाहिए। हैंडीक्राफ्ट का कार्य काफी मेहनत और कला का कार्य है, जिसे वर्तमान में सहजे जाने और समुचित प्रयास कर बचाए जाने की आवश्यकता है।
हेल्थ एंड सोशल डेवलपमेंट रिसर्च सेंटर की मृदुला चंद्रा ने कहा कि दुनियाभर में अपनी विशेष पहचान रखने वाले राजस्थानी हस्त निर्मित वस्त्र व्यवसाय के सामने कई प्रकार की चुनौतियां है, जैसे कपडें की उत्पादन प्रक्रिया को पर्यावरण अनुरुप बनाना, जिसके कारण इस व्यवसाय पर संकट मंडराता हुआ नजर आ रहा है। आवश्यकता है कि इस व्यवसाय को पर्यावरण फ्रेंडली बनाया जाकर बचाने के प्रयास किए जाये। साथ ही आज इस परंपरागत व्यवसाय को बचाने के लिए सरकार की ओर से भी आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के साथ साथ प्रक्रियाओं को सरल बनाने की आवश्कता है।
सेमिनार के दौरान तीन सेशन में अलग अलग क्षेत्रों से जुड़े अधिकारियों एवं संस्थाओं के पदाधिकारियों ने पैनल डिस्कशन के माध्यम से सेमिनार में आए विभिन्न संस्थाओं, कलाकारों एवं वस्त्र व्यवसाइयों के साथ चर्चा की, जिसमे हैंडीक्राफ्ट व्यवसाय की समस्याओं को दूर करने और आगे बढ़ाए जाने के बारे में सवाल-जवाब किए गए, जिसमें व्यापार के लिये आर्थिक सहयोग, डिजाईनिंग, मार्केटिंग, दस्तकारों के बौद्धिक अधिकार, ब्राडिंग व दस्तकारों की जिम्मेदारियां आदि पर चर्चा की गई।
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