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विशेष : सियासत के कई समीकरणों को तय करने में अहम होगा अजमेर लोकसभा उपचुनाव

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जयपुर। राजस्थान से भाजपा के कद्दावर जाट नेता, सांसद एवं राज्य किसान आयोग के अध्यक्ष सांवरलाल जाट के निधन के बाद अब अजमेर लोकसभा सीट खाली होने के चलते यहां उपचुनाव होने तय हैं। ऐसे में अजमेर लोकसभा सीट से भाजपा को सांवरलाल के मुकाबले का ही कोई चेहरा तलाशना होगा, वहीं प्रमुख विपक्षी पार्टी की ओर से भी कोई मजबूत प्रत्याशी उतारना भी किसी चुनौती से कम नहीं होगा। चूंकि जाट एक किसान नेता एक रूप में पहचाने जात थे इसलिए किसानों के हित की बात सोचने वाला ही कोई उम्मीदवार चुनावों में जीतने की उम्मीदों पर खरा उतर पाने में कामयाब होगा।

अजमेर जिले के भिनाय से तीन बार और नसीराबाद से एक बार विधायक रहे जाट राजस्थान किसान आयोग के अध्यक्ष भी थे। जाट ने साल 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को 1 लाख 72 हजार वोटों से मात देकर जीत हासिल की थी। ऐसे में कांग्रेस की ओर से चुनाव में उतारे जाने वाले प्रत्याशियों में पीसीसी चीफ सचिन पायलट का नाम ही सबसे ज्यादा चर्चा में है। हालांकि ये देखने वाली बात होगी कि दोनों ही पार्टियों की ओर से किसी उम्मीदवार बनाया जाता है।

वहीं दूसरी ओर, हाल ही में गुजरात राज्यसभा चुनाव में राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भी सराहनीय भूमिका सामने आई है, जिसे देखते हुए गहलोत का कद भी पार्टी आलाकमान के सामने बढ़ा है। ऐसे में अजमेर लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनावों में सबसे ज्यादा देखने वाली बात ये होगी कि इस चुनाव में कांग्रेस का नेतृत्व सचिन पायलट करते हैं या फिर अशोक गहलोत। वहीं कांग्रेस के समभावित उम्मीदवार के रूप में सचिन पायलट का नाम सबसे ऊपर माना जा रहा है। चूंकि राजस्थान कांग्रेस के मुखिया सचिन पायलट खुद इस सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ते आए हैं, लेकिन अगले साल विधानसभा और उसके बाद लोकसभा चुनाव होने के चलते इस उपचुनाव को लेकर पायलट फिलहाल कई रणनीतियों और विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।

पायलट के चुनाव लड़ने या फिर नहीं लड़ने के बारे में कोई भी फैसला खुद उनके विवेक और पार्टी आलाकमान पर निर्भर है। सूत्रों के मुताबिक, खुद पायलट इस समय अपने रणनीतिक सलाहकारों से इसी विषय पर उनकी राय जानने में लगे हैं। हालांकि पायलट को उनके रणनीतिकार फिलहाल चुनाव नहीं लड़ने की ही सलाह दे रहे हैं। इन समीकरणों के चलते सियासी गलियारों में पायलट के चुनाव नहीं लड़ने की संभावनाओं की ज्यादा कयास लगने शुरु हो गए हैं। ऐसे में अगर पायलट चुनाव नहीं लड़ते हैं तो फिर सम्भवतया किसी जाट या फिर गुर्जर नेता को मौका दिया जा सकता है।

क्या होगी चुनावों की तिथि :

  • संवैधानिक बाध्यता के चलते किसी भी क्षेत्र में 6 माह के भीतर उपचुनाव कराया जाना जरुरी है। ऐसे में अजमेर लोकसभा उपचुनाव के बारे में ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि सम्भवतया दिसम्बर में ये उपचुनाव कराया जा सकता है और निर्वाचन आय़ोग दिसम्बर में ही गुजरात विधानसभा चुनाव के साथ अजमेर लोकसभा उपचुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर सकता है। हालांकि कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि सत्तारुढ़ दल अपनी सुविधा और समीकरणों के अनुसार चुनाव कराने की पूरी कोशिश करेगा।


भाजपा के सम्भावित उम्मीदवारों की सूची :
  • अजमेर लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में जहां सत्तारूढ़ दल सांवरलाल जाट के ही किसी परिजन को मैदान में उतार सकता है, वहीं कांग्रेस भी जाट के मुकाबले के ही किसी जाट या फिर गुर्जर नेता को मौका दे सकती है। भाजपा के सम्भावति उम्मीदवारों में जहां सांवरलाल जाट के परिजनों में उनके बेटे रामस्वरुप, बेटी सुमन औऱ पत्नी तीनों के नाम चर्चाओं में है। वहीं अन्य उम्मीदवारों में पूर्व जिला प्रमुख सरिता गैना के ससुर सीबी गैना के साथ ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए डेयरी राजनीति से जुड़े रामचंद्र चौधरी के नाम भी चर्चाओं में हैं। सांवरलाल जाट के परिजन को टिकट देने से जहां भाजपा को लोगों की जाट के प्रति सहानुभूति का फैक्टर काम करेगा, वहीं मोदी लहर का भी असर दिखाई दे सकता है।


कांग्रेस के सम्भावित उम्मीदवारों में इन नामों की चर्चा :

  • अजमेर लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस के सम्भावित उम्मीदवारों में पीसीसी चीफ सचिन पायलट का नाम ही सबसे ज्यादा चर्चा में है, लेकिन फिलहाल पायलट के रणनीतिक सलाह​कार उन्हें ये चुनाव नहीं लड़ने की सलाह दे रहे हैं। ऐसे में अगर सचिन पायलट खुद चुनाव नहीं लड़ते हैं तो फिर किसी जाट या गुर्जर नेता को चुनाव में उतारा जा सकता है। कांग्रेस के सम्भावित उम्मीदवारों में पायलट के अतिरिक्त जिन नामों की चर्चा है, उनमें पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया, पूर्व जिला प्रमुख रामस्वरुप चौधरी, पूर्व विधायक महेन्द्र गुर्जर, नसीराबाद विधायक रामनारायण गुर्जर और मुस्लिम प्रत्याशी के रूप में नसीम अख्तर के नाम शामिल हैं।


तो क्या नागर पलट सकते हैं पासा?

  • दूदू विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक बाबुलाल नागर भी अजमेर लोकसभा में ही आते हैं, ऐसे में इस अजमेर लोकसभा उपचुनाव में नागर का अहम किरदार भी सामने आ सकता है। हालांकि इस बारे में साफ तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता कि नागर अगर इस चुनाव में उतरते हैं तो वे किसका समर्थन करेंगे। चूंकि वर्तमान में कथित तौर पर नागर एवं पायलट के बीच सियासी जंग व असामंजस्य बरकरार है और सांवरलाल को जब दिल्ली एम्स से जयपुर भाजपा मुख्यालय लाया गया था, तब नागर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए भाजपा मुख्यालय पहुंचे थे। ऐसे मेे एक संभावना ये भी जताई जा रही है कि नागर भाजपा के साथ जाकर अजमेर लोकसभा उपचुनाव का पासा पलटने में अहम किरदार अदा कर सकते हैं। वहीं अगर नागर के साथ सामंजस्य बैठा लिया जाता है तो चुनाव रणनीति में पायलट को ये सीट निकालने में आसानी होगी और कांग्रेस को मजबूती मिल सकती है।


अब तक ये रहे हैं अजमेर से सांसद :

  • 1951 से 57 तक कांग्रेस के ज्वाला प्रसाद शर्मा
  • 1957 से 67 तक (लगातार 2 बार) कांग्रेस के मुकुट बिहारी भार्गव
  • 1967 से 77 तक (लगातार 2 बार) कांग्रेस के बीएन भार्गव
  • 1977 से 80 तक जनता पार्टी के श्रीकरण शारदा
  • 1980 से 84 तक कांग्रेस के भगवानदेव आचार्य
  • 1984 से 89 तक कांग्रेस के विष्णुकमार मोदी
  • 1989 से 98 तक (लगातार 3 बार) भाजपा के रासासिंह रावत
  • 1998 से 99 तक कांग्रेस की प्रभा ठाकुर
  • 1999 से 2009 तक (लगातार 2 बार) भाजपा के रासासिंह रावत
  • 2009 से 2014 तक कांग्रेस के सचिन पायलट
  • 2014 से 2017 तक भाजपा के सांवरलाल जाट

बहरहाल, अजमेर लोकसभा चुनाव को लेकर दोनों राजनीतिक इलाके की रणनीति चाहे जो भी हो, लेकिन इतना जरूर है कि ये चुनाव तय करेंगे कि ये चुनाव तय करेंगे कि अगले साल 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव में जनता का रुख दर्शाने का काम करेंगे। वहीं उपचुनाव के नतीजों को देखकर भाजपा और कांग्रेस को अपनी—अपनी रणनीतियां तैयार करने में जुट जाएंगे। इसके साथ ही मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में भी इस बात को लेकर कयासों का दौर शुरू हो जाएगा कि विधानसभा चुनाव 2018 में पार्टी पीसीसी चीफ सचिन पायलट के नेतृत्व में चुनावी रणनीति तय करेगी या फिर पूर्व सीएम अशोक गहलोत के।

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