अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित
अजमेर। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जिला स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन बुधवार को जवाहर रंगमंच पर किया गया।
जिला प्रमुख वंदना नोगिया ने कहा कि महिला दिवस महिलाओं को उनके अधिकारों तथा मान सम्मान के प्रति जागरूक करेन के लिए मनाया जाता है। महिलाएं अपने दायित्वों को ईमानदारी से निभाती है। महिला व पुरूष समाज की कड़ियां हैं। इनकी मजबूती से ही समाज मजबूत होगा। उन्होंने लैंगिक भेदभाव समाप्त करने, राज्य को बाल विवाह मुक्त करने तथा बालिकाओं के प्रति सकारात्मक वातावरण निर्माण की शपथ दिलायी।
पूर्व जिला प्रमुख सरिता गेना ने कहा कि महिला एवं पुरूष एक दूसरे से सहयोग से ही पूर्णता को प्राप्त करते है। महिला एक मकान को घर बनाने की भूमिका निभाती है। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं को खास होने का अहसास कराता है। महिलाओं को अपनी योग्यता और ताकत की पहचान करके आगे बढ़ना चाहिए। महिलाओं को पुरूषों और परिवार साथ लेकर चलने की योग्यता प्राप्त होती है। इसी से इन्हें परिवार की धुरी कहा जाता है।
उन्होंने कहा कि बेटी को भारतीय परम्परा में सम्मानीय स्थान प्राप्त है। महिला को देवी के रूप में पूजनीय माना गया है। ऐसे में बेटी को बचाने की अपील करना समाज की सोच में बदलाव को दर्शाता है। समाज में महिलाओं के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए शुरूआत स्वयं से करनी होगी। महिलाओं को भी महिलाओं के प्रति सामान्य सोच से ऊपर उठकर व्यवहार करना चाहिए।
पुलिस महानिरीक्षक मालिनी अग्रवाल ने कहा कि महिलाओं को हर दृष्टि से सशक्त होना आवश्यक है। सशक्तिकरण एक नियमित प्रक्रिया है। महिला और पुरूष प्रकृति द्वारा सृजित दो अलग-अलग व्यक्त्वि हैं। दोनो की अपनी अलग-अलग मजबूती और कमजोरियां है। महिलाएं अपनी खूबियों पर गर्व कर सकती है। महिलाएं शिक्षित होकर जागरूक होने के साथ ही विभिन्न योजनाओं का लाभ प्राप्त कर सकती है।
अतिरिक्त जिला कलेक्टर किशोर कुमार ने कहा कि महिला विधाता के द्वारा तैयार एक अनुपम रचना है। महिला प्रत्येक परिस्थिति से मुकाबला करके परिवार को आगे बढ़ाने में लगी रहती है। वह अपनी समस्त संतानों की समान परवरिश करने की योग्यता रखती है। यह मजबूत दिल और दिमाग वाली होती है।
महिला एवं बाल विकास विभाग की उप निदेशक अनुपमा टेलर ने कहा कि भारतीय संस्कृति में महिलाओं को पर्याप्त अधिकार प्रदान किए गए है। बाल विवाह और कन्या भु्रण हत्या को रोका जाना सबका दायित्व है।
इस अवसर पर श्रीनगर प्रधान सुनिता रावत, जवाजा प्रधान गायत्री देवी, प्रशिक्षु आईएएस अंजली रोजोरिया, एसीएम श्वेता यादव, महिला अधिकारिता विभाग के कार्यक्रम अधिकारी जितेन्द्र कुमार शर्मा उपस्थित थे।
जिला प्रमुख वंदना नोगिया ने कहा कि महिला दिवस महिलाओं को उनके अधिकारों तथा मान सम्मान के प्रति जागरूक करेन के लिए मनाया जाता है। महिलाएं अपने दायित्वों को ईमानदारी से निभाती है। महिला व पुरूष समाज की कड़ियां हैं। इनकी मजबूती से ही समाज मजबूत होगा। उन्होंने लैंगिक भेदभाव समाप्त करने, राज्य को बाल विवाह मुक्त करने तथा बालिकाओं के प्रति सकारात्मक वातावरण निर्माण की शपथ दिलायी।
पूर्व जिला प्रमुख सरिता गेना ने कहा कि महिला एवं पुरूष एक दूसरे से सहयोग से ही पूर्णता को प्राप्त करते है। महिला एक मकान को घर बनाने की भूमिका निभाती है। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं को खास होने का अहसास कराता है। महिलाओं को अपनी योग्यता और ताकत की पहचान करके आगे बढ़ना चाहिए। महिलाओं को पुरूषों और परिवार साथ लेकर चलने की योग्यता प्राप्त होती है। इसी से इन्हें परिवार की धुरी कहा जाता है।
उन्होंने कहा कि बेटी को भारतीय परम्परा में सम्मानीय स्थान प्राप्त है। महिला को देवी के रूप में पूजनीय माना गया है। ऐसे में बेटी को बचाने की अपील करना समाज की सोच में बदलाव को दर्शाता है। समाज में महिलाओं के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए शुरूआत स्वयं से करनी होगी। महिलाओं को भी महिलाओं के प्रति सामान्य सोच से ऊपर उठकर व्यवहार करना चाहिए।
पुलिस महानिरीक्षक मालिनी अग्रवाल ने कहा कि महिलाओं को हर दृष्टि से सशक्त होना आवश्यक है। सशक्तिकरण एक नियमित प्रक्रिया है। महिला और पुरूष प्रकृति द्वारा सृजित दो अलग-अलग व्यक्त्वि हैं। दोनो की अपनी अलग-अलग मजबूती और कमजोरियां है। महिलाएं अपनी खूबियों पर गर्व कर सकती है। महिलाएं शिक्षित होकर जागरूक होने के साथ ही विभिन्न योजनाओं का लाभ प्राप्त कर सकती है।
अतिरिक्त जिला कलेक्टर किशोर कुमार ने कहा कि महिला विधाता के द्वारा तैयार एक अनुपम रचना है। महिला प्रत्येक परिस्थिति से मुकाबला करके परिवार को आगे बढ़ाने में लगी रहती है। वह अपनी समस्त संतानों की समान परवरिश करने की योग्यता रखती है। यह मजबूत दिल और दिमाग वाली होती है।
महिला एवं बाल विकास विभाग की उप निदेशक अनुपमा टेलर ने कहा कि भारतीय संस्कृति में महिलाओं को पर्याप्त अधिकार प्रदान किए गए है। बाल विवाह और कन्या भु्रण हत्या को रोका जाना सबका दायित्व है।
इस अवसर पर श्रीनगर प्रधान सुनिता रावत, जवाजा प्रधान गायत्री देवी, प्रशिक्षु आईएएस अंजली रोजोरिया, एसीएम श्वेता यादव, महिला अधिकारिता विभाग के कार्यक्रम अधिकारी जितेन्द्र कुमार शर्मा उपस्थित थे।
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