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I Love You बोलकर सेक्स के लिए उकसाती थीं राधे मां, जानिए क्या है राधे मां की कहानी और कैसे हुईं प्रसिद्ध

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नई दिल्ली। डेरा सच्चा सौदा की अनुयायी साध्वियों के साथ यौन शौषण में जेल की हवा खा रहे गुरमीत राम रहीम के बाद अब लगता है अगला नम्बर खुद को देवी बताने वाली विवादास्पद और ग्लैमरस धर्मगुरु राधे मां का आने वाला है। राधे मां पर एक नेता ने गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसे लेकर ये नेता अब राधे मां के खिलाफ केस दायर करने की तैयारी में है। नेता ने राधे मां पर आरोप लगाए हैं कि राधे मां उन्हें शारीरिक संबंध बनाने के लिए उकसाती थी और ऐसा नहीं करने पर वो अपशब्द बोलती थी।

दरअसल, खुद को देवी बताने वाली इस विवादास्पद और ग्लैमरस धर्मगुरु राधे मां पर ये आरोप विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के सदस्य रह चुके सुरेंद्र मित्तल ने लगाया है। मित्तल ने राधे मां ने उन्हें शारीरिक संबंध बनाने के लिए उत्तेजित करने का प्रयास किया था। इसके बावजूद जब उन्होंने इन्कार कर दिया तो राधे मां ने उन्हें गालियां देना और अपशब्द कहना शुरू कर दिया।

मित्तल का कहना है कि राधे मां मुझे कई प्रकार से उत्तेजित करने की कोशिश करती रही। वह लगातार 'आई लव यू' इत्यादि कहती रहीं, लेकिन वह अपने इरादों में कामयाब नहीं हुई। उनकी कोशिशों के बावजूद जब मैंने इन्कार कर दिया तो उन्होंने मुझे गालियां देना और बुरा-भला कहना शुरू कर दिया। इसके बाद में उन्होंने राधे मां के पास जाना बंद कर दिया।

मित्तल ने कहा कि यह तकरीबन दो साल पुराना मामला है, जिसे मीडिया में खूब बढ़ा-चढ़ाकर छापा भी गया था। मेरे वकील ने उनको एक नोटिस भी जारी किया था। सुरेंद्र ने कहा कि झूठी पहचान बनाकर घूम रहे लोगों, खास तौर से बाबा और स्वामियों की असलियत को सामने लाना चाहिए। राधे मां के खिलाफ अब हम अदालत की अवमानना करने का केस दायर कर रहे हैं। मैं चाहता हूं कि हाई कोर्ट में इस मामले को संज्ञान में लेते हुए राधे मां के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।


कौन है राधे मां :
खुद को देवी बताने वाली विवादास्पद और ग्लैमरस धर्मगुरु राधे मां का वास्तविक नाम सुखविंदर कौर है। प्राप्त सूचना के अनुसार सुखविंदर कौर का जन्म चार अप्रैल 1965 में पंजाब के जिले गुरुदासपुर के दोरंगला गांव में हुआ था। सुखविंदर कौर के बारे में बताया जा रहा है कि वह अपने गांव के काली देवी मंदिर में काफी दिन तक रही और वहां के लोगों को बचपन से कुछ चमत्कारिक चीजें दिखाया करती थी। हालांकि उसके गांव वालों ने उसके बारे में बचपन में किसी भी चमात्कारिक शक्ति होने से या दिखाने से इनकार किया।

जानकारी के अनुसार सुखविंदर कौर 10वीं कक्षा तक पढ़ी है। राधे मां उर्फ सुखविंदर की शादी मोहन सिंह नाम के शख्स के साथ हुई थी, शादी के समय सुखविंदर की उर्म 17 साल थी। जब सुखविंदर की शादी हुई उस वक्त उसके ससुराल की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी। इंटरनेट पर मौजूद सूचना के मुताबिक सुखविंद जब 22 साल की हुई तब तक उसके छह बच्चे हो चुके थे। बताया जाता है कि अपनी पति की आर्थिक सहायता के लिए वह कपड़े सिलने का कार्य भी करती थीं, लेकिन इसी दौरान उसका पति कमाने के लिए कतर की राजधानी दोहा चले गए।

कहा जाता है कि पति के कतर जाने के बाद सुखविंदर अध्यात्म की ओर मुड़ गई और महन्त रामदीन की शिष्या बन गई। महन्त रामदीन ने ही सुखविंदर को राधे नाम दिया। इसके बाद राधे संत समागमों में जाने लगी और लोगों से पहचान करने लगी। मुंबई में कुछ साल रहने के बाद राधे फिर अपने पंजाब जाने लगी जहां लोग पहले से ज्यादा संख्या में उसके शिष्य बनने लगे। इसी दौरान राधे अपने पति और दो बेटों को मुंबई ले गई और फिर पंजाब में बार आकर अपने शिष्यों से मिलने लगी। इसके बाद राधे मां को देखने के लिए काफी संख्या में लोग आने लगे।



और इस प्रकार से चलता था प्रसिद्धी का सिलसिला :
मुंबई आने के बाद राधे मां की मुलाकात यहां एक बड़े कारोबारी संजीव गुप्ता से हुई और दोनों के बीच निकटता बढ़ती गई। गुप्ता की कंपनी ग्लोबल मीडिया विज्ञापन इंडस्ट्री से जुड़ी है। सूत्रों के मुताबिक, गुप्ता ने राधे मां को बताया कि कैसे वो उनके साथ मिलकर रातों रात ख्याति पा सकती हैं। इसके बाद राधे मां की जय-जयकार शुरू हो गई और शुरू हुआ राधे मां की प्रसिद्धी और ऐश्वर्य पाने का।

राधे मां के कार्यक्रमों में यूं तो चमत्कार जैसा कुछ खास नहीं होता, लेकिन इन कार्यक्रमों में लाखों की तादाद में भक्त जुटते ​हैं। कहीं किसी कार्यक्रम के दौरान राधे मां स्टेज पर दुल्हन की तरह सज-संवर कर अवतरित होती हैं और झूमती-नाचती रहती हैं। इस नजारे के बीच जो सबसे अद्भुत नजारा होता है, वो ये होता है कि जब भी किसी कार्यक्रम में स्टेज पर झूमती राधे मां किसी पर प्रसन्न होती हैं तो वह झूमते हुए उसकी गोद में कूद जाती हैं।

राधे मां द्वारा अपने किसी भक्त की गोद में कूदने जाने के इस अद्भुत नजारे को लेकर ऐसा बताया जाता है कि जिस किसी भी भक्त की गोद में राधे मां प्रसन्न होकर कूद जाती है, उसके सभी कष्ट-कलेश तुरंत दूर हो जाते हैं। ऐसे में राधे मां के कार्यक्रमों में उमड़ने वालें भक्तों की तादाद आ अंदाजा बखुबी लगाया जा सकता है। वहीं इस प्रकार से राधे मां की ख्याति तीव्र गति वाली रफ्तार के साथ लगातार आगे की ओर बढ़ती हुई चली गई।

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