राजस्थान गोपालन विभाग की विशेष कवायद, 5 लाख गायों को यूआईडी से जोड़ा
जयपुर। राजस्थान की कई गौशालाओं में पल रही गायों की मौतें होने की खबरों के बीच इन गायों को बचाने के लिए प्रदेश के गोपालन विभाग ने विशेष कवायद की है। इसके तहत विभाग ने प्रदेश की गौशालाओं में रहने वाली गायों में से अब तक 5 लाख गायों को आधार के समान ही यूआईडी नम्बर के साथ जोड़ा है। इससे इन गायों के बारे में पूरा ब्योरा विभाग के पास पहुंच गया है, जिससे इनकी संख्या और संरक्षण का ध्यान रखा जाएगा।
गोपालन विभाग के निदेशक राजेंद्र किशन ने इस बारे में बताया कि, "हमने इस परियोजना की शुरूआत इसी साल जनवरी के महीने में कर दी थी, जिसके बाद अब हमारे पास 5 लाख गायों का पूरा ब्योरा आ चुका है। इस ब्योरे में प्रत्येक गाय के बारे में पूरी जानकारी होगी, जिसमें ये बताया गया है कि वह कैसी दिखती है। साथ ही उसके सींगों के छोटे-बड़े आकार और रंग, उम्र और वजन के साथ ही कई तरह की जानकारी है।
गायों की मौतों की घटनाओं पर काबू पाने और गायों की उचित सार-संभाल के लिए की जा रही गोपालन विभाग की इस विशेष की इस कवायद के तहत विभाग के पास प्रत्येक गाय के बारे में पूरा ब्योरा रहेगा, जिससे उनकी संख्या, स्थिति एवं संरक्षण का ध्यान रखा जाएगा। यूआईडी नम्बर के साथ ही प्रत्येक गाय का विवरण यानि जहां वह रह रही है, उस गौशाला, गांव और उसके जिले का विवरण भी दर्ज है। ऐसे में यह किसी भी मायने में आधार के समान ही है।
गोपालन विभाग के अधिकारी अब यूआईडी नंबरों की मदद से राज्य की गौशालाओं में पल रही गायों पर नज़र रख सकेंगे। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्यभर की गौशालाओं में रहने वाली गायों में से प्रत्येक गाय को अब ट्रैक किया जा रहा है। ऐसे में गौशालाओं में रहने वाली इन गायों की उचित सार-संभाल भी की जा सकेगी।
आपको बता दें कि राज्य में कुल 1,681 पंजीकृत गौशालाएं हैं और इनमें रह रही सभी गायों को अब यूआईडी नंबर दिया गया है। साथ ही इसे प्रत्येक गाय के कान में एक कंप्यूटराइज्ड चिप के साथ टैग किया गया है। ऐसे में अगर अब कोई भी गया सड़क पर मिलती है या कहीं और भटकती है, तो गौशाला के साथ गाय का भी पता लगाया सकेगा।
गोपालन विभाग के निदेशक राजेंद्र किशन ने इस बारे में बताया कि, "हमने इस परियोजना की शुरूआत इसी साल जनवरी के महीने में कर दी थी, जिसके बाद अब हमारे पास 5 लाख गायों का पूरा ब्योरा आ चुका है। इस ब्योरे में प्रत्येक गाय के बारे में पूरी जानकारी होगी, जिसमें ये बताया गया है कि वह कैसी दिखती है। साथ ही उसके सींगों के छोटे-बड़े आकार और रंग, उम्र और वजन के साथ ही कई तरह की जानकारी है।
गायों की मौतों की घटनाओं पर काबू पाने और गायों की उचित सार-संभाल के लिए की जा रही गोपालन विभाग की इस विशेष की इस कवायद के तहत विभाग के पास प्रत्येक गाय के बारे में पूरा ब्योरा रहेगा, जिससे उनकी संख्या, स्थिति एवं संरक्षण का ध्यान रखा जाएगा। यूआईडी नम्बर के साथ ही प्रत्येक गाय का विवरण यानि जहां वह रह रही है, उस गौशाला, गांव और उसके जिले का विवरण भी दर्ज है। ऐसे में यह किसी भी मायने में आधार के समान ही है।
गोपालन विभाग के अधिकारी अब यूआईडी नंबरों की मदद से राज्य की गौशालाओं में पल रही गायों पर नज़र रख सकेंगे। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्यभर की गौशालाओं में रहने वाली गायों में से प्रत्येक गाय को अब ट्रैक किया जा रहा है। ऐसे में गौशालाओं में रहने वाली इन गायों की उचित सार-संभाल भी की जा सकेगी।
आपको बता दें कि राज्य में कुल 1,681 पंजीकृत गौशालाएं हैं और इनमें रह रही सभी गायों को अब यूआईडी नंबर दिया गया है। साथ ही इसे प्रत्येक गाय के कान में एक कंप्यूटराइज्ड चिप के साथ टैग किया गया है। ऐसे में अगर अब कोई भी गया सड़क पर मिलती है या कहीं और भटकती है, तो गौशाला के साथ गाय का भी पता लगाया सकेगा।
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