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इस युवा पत्रकार के प्रयासों से कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में सुनाई दी स्वच्छ भारत मिशन की गूंज

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जयपुर। राजस्थान के युवा पत्रकार दिव्य गौड के प्रयासों के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आव्हान पर देश में चल रहे स्वच्छ भारत मिशन की गूंज विदेश में भी सुनाई देने लगी है। भारत के स्वच्छ भारत अभियान की गूंज अब विश्व की ख्यातनाम कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में भी सुनाई दी है और अन्य देशो ने इस अभियान की सफलता को नजदीकी से जानने में अपनी रूचि भी दिखाई है।

जयपुर के दिव्य गौड़ देश के ऐसे पहले युवा पत्रकार रहे हैं, जिन्होंने विश्व की ख्यातनाम यूनिवर्सिटी कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में अपना रिसर्च पेपर प्रेजेंट किया। ये रिसर्च पेपर विश्व की जाने मानी लंदन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में नॉलेज एंड प्रैक्टिस ऑफ़ हाइजीन एंड सैनिटेशन, इम्पैक्ट ऑफ़ मीडिया एडवोकेसी विषय पर स्वच्छ भारत अभियान की जमीन हकीकत पर सबमिट किया। स्वच्छ भारत अभियान पर इसमें हुई बीहेवियर चेंजेज ओर मीडिया एडवोकेसी प्रोगाम (MAP) पर प्रेजेंटे किया।

दिव्य गौड़ ने अपना पेपर NMP रिसर्च इंस्टिट्यूट और वार्विक रिसर्च एजेंसी के सहयोग से डॉक्टर नेहा शर्मा के निर्देशन में पूरा किया। डॉ. शर्मा ने बताया कि इस तरह कि ये पहली रिसर्च रही, जो सफल तो रही साथ ही इसमें अच्छे रिजल्ट भी सामने आये। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छ भारत अभियान के तहत काफी गंभीर हैं ओर उनका प्रयास है कि आने वाले कुछ समय में भारत से गन्दगी दूर हो जाये और स्वच्छ और सुन्दर भारत की तस्वीर पूरे विश्व में पहुंचे। 

इस रिसर्च में बताया कि अगर सभी अपनी जिम्मेदारी के साथ एडवोकेसी प्रोग्राम को अपनाये और अगर हम अपने अंदर बिहेवियर चेंजेज की शुरआत करें तो गन्दी आदतें जल्दी दूर होकर अच्छी आदतों के साथ बदलती दिखाई देने लगती है। हमारे देश में लोगों के साथ बिहेवियर चेंजेज के साथ समाज के सभी वर्गों को अपनी अपनी जिम्मेदारी समझकर ईमानदारी के साथ निभाने की जरुरत है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि किस तरह से मीडिया एडवोकेसी प्रोग्रम के तहत बिहेवियर चेंजेज लाया जा सकता है। साथ ही जनता को जागरूक कर सभ्य समाज की परिकल्पना को साकार करने में सफलता हासिल होगी।  उन्होंने इस विषय पर सभी देशों के साथ अपने अनुभव और रिसर्च साझा कर अन्य देशों को इस बारे में बताया कि भविष्य में ये अभियान सभी देशों के लिए एक रोल अभियान के रूप में देखा जायेगा। इस इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में विश्व के अलग—अलग देशों से आये विद्वानों ने इस रिसर्च पेपर की भरपूर प्रशंशा की।

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