नो माह गर्भ में पाला फिर नवजात बच्ची को फेंका कचरे के ढेर में
कोटा । बून्दी जिले के देई में मां का ममता से बच्ची का मां से साथ छूटने की अप्रिय घटना मंगलवार को देई क्षेत्र के धूकल्या की कुई के पास हुई। शर्मसार करने वाली इस धटना से हर कोई स्तब्ध था तो हर कोई कलियुगी मां पिता को कोस रहा था। लेकिन इन सबके बीच अनजान नवजात बालिका अपने जीवन के लिए अपनी सांसे ले रही थी।
मां के छोडने के बाद नवजात बालिका का हाथ थामने के लिए लोगो ने हाथ आगे कर एक ओर जहां मानवता दिखाई वही चिकित्सालय मे एक अन्य बालिका को जन्म देने वाली मां ने अपना दूध पिलाकर बालिका को मां का वात्सलय दिखाया। जानकारी के अनुसार सुबह करीब साढे नो बजे देई पुलिस को सूचना मिली की नैनवां रोड स्थित धूकल्या की कुई के पास एक रेवडी के ढेर मे लावारिस हालत मे नवजात बालिका रो रही है।
सूचना मिलते ही देई थानाधिकारी दोलत साहू महिला कांस्टेबल कंचन मय जाप्ते के पहुचे ओर वहां से रेवडी मे से बालिका को लेकर देई सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुचे। जहां पर महिला चिकित्सक वेदान्ती सक्सेना नर्स राजेष षर्मा ने बालिका के स्वास्थ्य की जांच की बालिका पूरी तरह स्वस्थ थी। बालिका की नाल काटने व स्वास्थ्य परीक्षण के बाद बालिका को शिशु रोग विषेशज्ञ की जांच के लिए बूंदी रैफर कर दिया गया।
देई थानाधिकारी साहू महिला कांस्टेबल बालिको को उपचार के लिए बूंदी रवाना हुए। वही दूसरी पुलिस मामले के अनुसंधान मे जुट गई। मां बनकर पिलाया वाात्लय अमृत राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र देई मे क्षेत्र के भजनेरी गांव निवासी निरमा बाई बैरवा ने भी बालिका को जन्म दिया था। ओर अस्पताल मे भर्ती थी। जब बालिका को दूध पिलाने की बात कही तो उन्होने खुषी के साथ बालिका को अमृतरूपी दूध पिलाकर वात्सलय दिखाया। बालिका को लेकर अस्पताल मे कार्यरत महिलास्वास्थ्यकर्मी नेे भी अपना प्रेम दिखाया वही कही लोगो ने पालन करने की इच्छा जताई।
सबसे बड़ा सवाल ये है कि बच्ची को कचरे के ढेर फेकने के पीछे आखिर क्या वजह हो सकती है क्या बच्ची अवैध सम्बन्धों का शिकार होना पड़ा या फिर आज भी समाज मे बच्चियों को अभिशाप माना जा रहा है फिलहाल मामला कुछ भी हो परन्तु इसका खामियाजा नवजात को बच्चियां को क्यो भुगतना पड़ता है कहि कचरे के ढेर में तो कही नालों में फेकने के मामले सामने आते है और ऐसे मामलों का खुलासा बहुत कम हो पाता है जिसके कारण आएदिन ऐसी घटनाएं सामने निकलकर आती है जिस पर न तो समाज अंकुश लगा पा रहा है और न ही प्रसासन व सरकार ।
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