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सात्विक आहार से मिलेगा योग का अधिकतम फायदा : देवनानी

अजमेर। शिक्षा एवं पंचायतीराज राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अति महत्वपूर्ण है, लेकिन इसका अधिकतम फायदा तभी मिल सकता है, जब इसे पूरे नियमों के पालन के साथ किया जाए। योग के साथ सात्विक आहार का सेवन यदि नियमित रूप से किया जाए तो अतिशीघ्र ही इसके परिणाम मिलने लगेंगे।

वासुदेव देवनानी ने आज अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित 10 दिवसीय योग शिविरों के तहत विभिन्न वार्डो में यह बात कही। उन्होंने आहार की शुद्धता पर जोर देते हुए कहा कि मन, वचन और कर्म की शुद्धता के साथ ही हमारे प्राचीन ऋषियों ने आहार की शुद्धता को भी स्वास्थ्य के लिए आवश्यक बताया है। योग के साथ ही आहार यदि सात्विक हो तो स्वाथ्य के लिए शानदार परिणाम मिलेंगे।

देवनानी ने आज वार्ड संख्या 47, 48, 49 एवं 57 में आयोजित योग शिविरों में भाग लिया। उन्होंने बताया कि क्षेत्रावासी पूरे उत्साह के साथ शिविरों में आकर योगाभ्यास कर रहे है। कुशल प्रशिक्षकों द्वारा साधकों को योगाभ्यास के साथ प्राणायाम भी कराया जा रहा है। शिविर में आने वाले क्षेत्रावासियों ने उन्हें बताया कि योग से उन्हें अपने स्वास्थ्य में अभूतपूर्व सुधार व प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है।

उन्होंने बताया कि बुधवार 21 जून को अनतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर क्षेत्र में आयोजित योग शिविरों में भाग लेने वाले साधक पटेल मैदान पर आयोजित जिला स्तरीय योगाभ्यास के कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे । 22 एवं 23 जून को क्षेत्रा में निर्धारित स्थलों पर ही योग शिविरों का आयोजन किया जाएगा।

शिविरों के दौरान प्रशिक्षकों ने साधको को विभिन्न आसनों की जानकारी देते हुए बताया कि बैठकर किए जाने वाले आसन भद्रासन का अर्थ दृढ़, सज्जन या सौभाग्यशाली होता है । अभ्यास विधि दोनो पैरों को सामने की ओर सीधा फैलाकर बैठें। दोनों हाथों को नितंब के पास रखें। यह स्थिति दंडासन कहलाती है। अब दोनों पैरों के तलवों को पास-पास ले आएं। श्वास बाहर छोड़ते हुए पैरों की अंगुलियों को हाथों से पकड़ कर डक दें। एड़ियों को मूलाधार के जितना नजदीक हो सके ले आएं। यदि पैरों की एड़ियां जांघों को नहीं छुपा रही हैं या पृथ्वी से नहीं लगी हुई हैं तो सहारे के लिए घुटनों के नीचे एक मुलायम कुशन रखना चाहिए। यह अभ्यास की अंतिम अवस्था ह। इस अवस्था में कुछ समय तक रहना चाहिए। लाभ भद्रासन का अभ्यास शरीर को दृढ़ रखता है एवं मस्तिष्क को स्थिरता प्रदान करता है। घुटनो और नितंब के जोड़ों को स्वास्थ रखता है। घुटनों का दर्द कम करने में मदद करता है। उदर के अंगों को क्रियाशील करता है और उदर में होने वाली किसी भी तरह की त्राुटि/खिंचाव को सामान्य करता है। महिलाओं को मासिक धर्म के समय अक्सर होने वाले पेट दर्द से मुक्ति प्रदान करता है। पुरानी तथा अत्यधिक पीड़ा देने वाले आर्थराइटिस और साइटिका से ग्रसित व्यक्ति को इस अभ्यास से बचना चाहिए।

उन्होंने बताया कि वज्रासन को ध्यान मुद्रा में किया जाना चाहिए। जब आप ध्यान मुद्रा में इस आसन का अभ्यास करें तब अंतिम अवस्था में आंखें बंद कर लें। अभ्यास विधि दोनों पैरों को फैलाकर बैठ जाइए, हाथ आपके शरीर के बगल में हों और आपकी हथेलियां जमीन पर हों, ऊंगलियां सामने की दिशा की ओर इशारा करती हों। दाहिने पैर को घुटने से मोड़ लें पंजों को नितंब के नीचे दबाकर बैठ जाएं। इसी तरह बायें पैर को भी घुटने से मोड़ते हुए ऐसे बैठें कि पंजे बायें नितंब के नीचे हो। नितंब एड़ियों के ऊपर होने चाहिए। बायें हाथ को क्रमशः बायें और दायें हाथ को दाहिने घुटने पर रखें। मेरूदंड को सीधा रखें सामने की ओर देखते हुए आंखें बंद रखें। पूर्ववत् स्थिति में आने के लिए दाहिनी ओर थोडछ़ा सा झुककर अपने बायें पैर को निकालें और उसे सीधा करें। इसी तरह अपने दाहिने पैर को निकालकर उसे सीधा कर लेे। लाभ इस आसन से जांघ और र्पिडली की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। यह आसन पाचन शक्ति बढ़ाने में सहयक होता है। यह मेरूदंड को सृदृढ़ता प्रदान करता है और उसे सीधा रखने में सहायता प्रदान करता है। बवासीर के मरीजों को इस आसन से परहेज करना चाहिए। घुटनेदर्द और एड़ियों के चोट से ग्रसित व्यक्तियों को इस आसन से परहेज करना चाहिए।

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