आनंद, आतंक और अंत : ये है आनंदपाल सिंह और उसके एनकाउंटर की पूरी कहानी
जयपुर। राजस्थान समेत पांच राज्यों की पुलिस के लिए मोस्ट वांटेड बन चुके कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल की कहानी के साथ ही उसके आतंक का भी आज खात्मा हो चुका है। पिछले करीब डेढ़ साल से पुलिस को छका रहा कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल कल रात चूरू के मालासर में पुलिस एनकांउटर में मारा गया है। आनंदपाल को गिरफ्तार किए जाने की पुलिस की कार्रवाई के दौरान आनंदपाल की ओर से की गई फायरिंग के बाद पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए उसका एनकाउंटर कर दिया और पुलिस की छह गोलियां लगने से उसकी मौत हो गई। ऐसे में राजस्थान में आतंक का पर्याय बन चुके आनंदपाल सिंह की कहानी का अंत भी अपराध के साथ ही हुआ।
पिछले डेढ़ साल से फरार चल रहा आनंदपाल पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन चुका था और आनंदपाल की फरारी को लेकर ही विपक्ष ने भी सरकार को कई बार सवालों के घेरे में खड़ा किया था। ऐसे में आनंदपाल की गैंग के कई गुर्गों को लगातार पुलिस अपने शिकंजे में लेती चली जा रही थी और गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया भी कई बार ये कह चुके थे कि जल्द ही आनंदपाल भी पुलिस के शिकंजे में होगा। इसी को लेकर आनंदपाल को दबोचने के लिए लगातार कवायद की जा रही थी।
दरअसल, साल 2015 में पेशी पर ले जाने के दौरान आनंदपाल पुलिस को गच्चा देकर फरार हो गया था और उसकी फरारी के बाद से ही वह लगातार पुलिस को दौड़ा रहा था। ऐसे में पुलिस की ओर से भी उसे पकड़ने के लिए लगातार कवायद की जा रही थी। इसके तहत एसओजी—पुलिस की कई स्पेशल टीमें भी बनाई गई और लगातार उनकी कोशिशें जारी रही। हाल ही में आनंदपाल के कुछ रिश्तेदारों को गिरफ्तार किए जाने के बाद पुलिस को उनसे आनंदपाल के चूरू में होने की जानकारी मिली।
इसी जानकारी के आधार पर पुलिस ने आनंदपाल को दबोचने का प्रयास किया, लेकिन इसी दौरान आनंदपाल की ओर से एके—47 राइफल से फायरिंग की गई। दूसरी ओर, पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए उसका एनकाउंटर कर दिया और उसे मार गिराया। ऐसे में इस एनकाउंटर में पुलिस की छह गोलियां लगने से लहूलुहान हुए आनंदपाल की मौके पर ही मौत हो गई है। वहीं पुलिस के तीन जवान भी इस घटना में घायल हो गए, जिन्हें इलाज के लिए चूरू के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घायलों में एक की हालत गंभीर बताई जा रही है।
सीएम राजे और गृहमंत्री ने दी बधाई :
कुख्यात गैंगंस्टर आनंदपाल के एनकाउटर के बाद प्रदेश की सीएम वसुंधरा राजे ने टीम को लीड कर रहे पुलिस के जांबाज अधिकारी एमएन दिनेश को फोन करके बधाईयां दी वहीं देश के गृहमंत्री राजनाथ ने भी इस एनकाउटर पर पुलिस प्रशासन की ताऱीफ की।
ये है आनंदपाल सिंह की कहानी :
बताया जाता है कि अपराध की दुनिया में आनंदपाल बलबीर के गैंग की वजह से आया। कहानी शुरू होती है 1997 से, तब बलबीर बानूड़ा और राजू ठेहट दोस्त हुआ करते थे। दोनों शराब के धंधे से जुड़े हुए थे। साल 2005 में हुई एक हत्या ने दोनों दोस्तों के बीच दुश्मनी की दीवार खड़ी कर दी। शराब ठेके पर बैठने वाले सेल्समैन विजयपाल की राजू ठेहट से किसी बात पर कहासुनी हो गई। पुलिस के मुताबिक, विवाद इतना बढ़ गया कि राजू ने अपने साथियों के साथ मिलकर विजयपाल की हत्या कर दी। विजयपाल रिश्ते में बलबीर का साला लगता था। विजय की हत्या से दोनों दोस्तों में दुश्मनी शुरू हो गई। बलबीर ने राजू के गैंग से निकलकर अपना गिरोह बना लिया। कुछ समय बाद बलबीर की गैंग में आनंदपाल शामिल हुआ तो इनके आतंक ने दहशत फैला दी।
आनंदपाल सिंह मूल रूप से नागौर में लाडनूं तहसील के गांव सांवराद का रहने वाला था। साल 2006 से अपराध की दुनिया में शामिल हुआ आनंदपाल राजस्थान पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन गया था। दरअसल, साल 2015 में पेशी के दौरान नशीली मिठाई खिलाकर वह पुलिस के शिकंजे से भागने में कामयाब हो गया। फरार होने के बाद से ही आनंदपाल को पकड़ना राजस्थान पुलिस के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बना हुआ था।
आनंदपाल की गिरफ्तारी पुलिस के साथ-साथ राज्य सरकार के लिए भी एक बड़ी चुनौती के समान बन गया था। क्योंकि आनंदपाल सिंह की फरारी को लेकर विधानसभा में विपक्ष भी सरकार को कई मर्तबा घेरा जा चुका था। ऐसे में सरकार की ओर से भी आनंदपाल को गिरफ्तार किए जाने के लिए कड़ी मशक्कत की जा रही थी। आनंदपाल को पकड़ने के लिए एसओजी पुलिस ने भी कई स्नपेल टीमों का गठन किया और लगातार उसके गुर्गों की गिरफ्तारी की गई।
हाल ही में आनंदपाल सिंह के कुछ रिश्तेदारों को पकड़े जाने के बाद पुलिस को उनसे इस बात की जानकारी मिली कि आनंदपाल चूरू में ही छिपा हुआ है। इसी जानकारी के आधार पर पुलिस ने आनंदपाल को दबोचने का प्रयास किया। एसओजी के आईजी दिनेश ऐमन और चूरू एसपी राहुल बारहठ के नेतृत्व में पुलिस ने आनंदपाल को दबोचने के लिए विशेष आॅपरेशन चलाया।
आनंदपाल सिंह तक पहुंचने के साथ ही आनंदपाल ने खुद को पुलिस से बचाने के लिए अपनी एके-47 राइफल से पुलिस पर फायरिंग कर दी। इस दौरान आनंदपाल ने पुलिस पर 100 से भी ज्यादा राउंड फायर किए, वहीं पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की और आखिरकार उसका एनकाउंटर कर उसे मार गिरा दिया गया। बहरहाल, ऐसे में साल 2006 से अपराध की दुनिया में दाखिल हुए आनंदपाल की कहानी का अंत आखिर में अपराध के साथ हुआ।
सम्बंधित खबर : मारा गया कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह, चूरू के मालासर में पुलिस ने किया एनकांउटर
पिछले डेढ़ साल से फरार चल रहा आनंदपाल पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन चुका था और आनंदपाल की फरारी को लेकर ही विपक्ष ने भी सरकार को कई बार सवालों के घेरे में खड़ा किया था। ऐसे में आनंदपाल की गैंग के कई गुर्गों को लगातार पुलिस अपने शिकंजे में लेती चली जा रही थी और गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया भी कई बार ये कह चुके थे कि जल्द ही आनंदपाल भी पुलिस के शिकंजे में होगा। इसी को लेकर आनंदपाल को दबोचने के लिए लगातार कवायद की जा रही थी।
दरअसल, साल 2015 में पेशी पर ले जाने के दौरान आनंदपाल पुलिस को गच्चा देकर फरार हो गया था और उसकी फरारी के बाद से ही वह लगातार पुलिस को दौड़ा रहा था। ऐसे में पुलिस की ओर से भी उसे पकड़ने के लिए लगातार कवायद की जा रही थी। इसके तहत एसओजी—पुलिस की कई स्पेशल टीमें भी बनाई गई और लगातार उनकी कोशिशें जारी रही। हाल ही में आनंदपाल के कुछ रिश्तेदारों को गिरफ्तार किए जाने के बाद पुलिस को उनसे आनंदपाल के चूरू में होने की जानकारी मिली।
इसी जानकारी के आधार पर पुलिस ने आनंदपाल को दबोचने का प्रयास किया, लेकिन इसी दौरान आनंदपाल की ओर से एके—47 राइफल से फायरिंग की गई। दूसरी ओर, पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए उसका एनकाउंटर कर दिया और उसे मार गिराया। ऐसे में इस एनकाउंटर में पुलिस की छह गोलियां लगने से लहूलुहान हुए आनंदपाल की मौके पर ही मौत हो गई है। वहीं पुलिस के तीन जवान भी इस घटना में घायल हो गए, जिन्हें इलाज के लिए चूरू के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घायलों में एक की हालत गंभीर बताई जा रही है।
सीएम राजे और गृहमंत्री ने दी बधाई :
कुख्यात गैंगंस्टर आनंदपाल के एनकाउटर के बाद प्रदेश की सीएम वसुंधरा राजे ने टीम को लीड कर रहे पुलिस के जांबाज अधिकारी एमएन दिनेश को फोन करके बधाईयां दी वहीं देश के गृहमंत्री राजनाथ ने भी इस एनकाउटर पर पुलिस प्रशासन की ताऱीफ की।
ये है आनंदपाल सिंह की कहानी :
बताया जाता है कि अपराध की दुनिया में आनंदपाल बलबीर के गैंग की वजह से आया। कहानी शुरू होती है 1997 से, तब बलबीर बानूड़ा और राजू ठेहट दोस्त हुआ करते थे। दोनों शराब के धंधे से जुड़े हुए थे। साल 2005 में हुई एक हत्या ने दोनों दोस्तों के बीच दुश्मनी की दीवार खड़ी कर दी। शराब ठेके पर बैठने वाले सेल्समैन विजयपाल की राजू ठेहट से किसी बात पर कहासुनी हो गई। पुलिस के मुताबिक, विवाद इतना बढ़ गया कि राजू ने अपने साथियों के साथ मिलकर विजयपाल की हत्या कर दी। विजयपाल रिश्ते में बलबीर का साला लगता था। विजय की हत्या से दोनों दोस्तों में दुश्मनी शुरू हो गई। बलबीर ने राजू के गैंग से निकलकर अपना गिरोह बना लिया। कुछ समय बाद बलबीर की गैंग में आनंदपाल शामिल हुआ तो इनके आतंक ने दहशत फैला दी।
आनंदपाल सिंह मूल रूप से नागौर में लाडनूं तहसील के गांव सांवराद का रहने वाला था। साल 2006 से अपराध की दुनिया में शामिल हुआ आनंदपाल राजस्थान पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन गया था। दरअसल, साल 2015 में पेशी के दौरान नशीली मिठाई खिलाकर वह पुलिस के शिकंजे से भागने में कामयाब हो गया। फरार होने के बाद से ही आनंदपाल को पकड़ना राजस्थान पुलिस के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बना हुआ था।
आनंदपाल की गिरफ्तारी पुलिस के साथ-साथ राज्य सरकार के लिए भी एक बड़ी चुनौती के समान बन गया था। क्योंकि आनंदपाल सिंह की फरारी को लेकर विधानसभा में विपक्ष भी सरकार को कई मर्तबा घेरा जा चुका था। ऐसे में सरकार की ओर से भी आनंदपाल को गिरफ्तार किए जाने के लिए कड़ी मशक्कत की जा रही थी। आनंदपाल को पकड़ने के लिए एसओजी पुलिस ने भी कई स्नपेल टीमों का गठन किया और लगातार उसके गुर्गों की गिरफ्तारी की गई।
हाल ही में आनंदपाल सिंह के कुछ रिश्तेदारों को पकड़े जाने के बाद पुलिस को उनसे इस बात की जानकारी मिली कि आनंदपाल चूरू में ही छिपा हुआ है। इसी जानकारी के आधार पर पुलिस ने आनंदपाल को दबोचने का प्रयास किया। एसओजी के आईजी दिनेश ऐमन और चूरू एसपी राहुल बारहठ के नेतृत्व में पुलिस ने आनंदपाल को दबोचने के लिए विशेष आॅपरेशन चलाया।
आनंदपाल सिंह तक पहुंचने के साथ ही आनंदपाल ने खुद को पुलिस से बचाने के लिए अपनी एके-47 राइफल से पुलिस पर फायरिंग कर दी। इस दौरान आनंदपाल ने पुलिस पर 100 से भी ज्यादा राउंड फायर किए, वहीं पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की और आखिरकार उसका एनकाउंटर कर उसे मार गिरा दिया गया। बहरहाल, ऐसे में साल 2006 से अपराध की दुनिया में दाखिल हुए आनंदपाल की कहानी का अंत आखिर में अपराध के साथ हुआ।
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