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सांसरिक सुखो की प्रधानता ही अंततः दुख का कारण : महामंडलेश्वर

भीलवाड़ा। आराध्य गुरूओ के निमित्त चले रहे वार्षिकोत्सव के तहत हरीशेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर में आज दूसरे दिन बाहर से पधारे हुए संत-महात्माओं के सत्संग कीर्तन की श्रंखला में स्वामी मोहनदास एवं चंदन इन्दौर ने ’’मुहिंजा सतगुरू शेवाराम आहयां मां तुहंजो नन्डणो बार’’, महंत स्वरूपदास अजमेर एवं महंत हनुरामराम पुष्कर ने ’’धनगुरू धनगुरू बाबा हरीराम जी, बाबा शेवाराम जी, बाबा गंगाराम जी’’ की धुनी लगवाई। सांई अमरलाल राजकोट, स्वामी मोहनदास भोपाल, संत किशनलाल भीलवाड़ा, विजय मोहन शास्त्री चित्तौड़, मदनलाल, चिरंजीलाल व अन्य ने भी भजन प्रस्तुत किये। उदासीन निर्वाण मण्डल के साधु संतो ने भी श्रद्धालुओं को दर्शन लाभ दिया। नितनेम, पूजन, अर्चन हवन हुए। आज भी श्री श्रीचन्द्र सिद्धान्त सागर का अखण्ड पाठ प्रारम्भ हुआ। रोट प्रसाद का भोग लगाकर मात्रा वाणी का पाठ किया। आरती एवं अरदास होकर संतो-महात्माओं का भण्डारा सम्पन्न हुआ।

महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन एवं बालक मण्डली ने भजन ’’दर्शन मागूं तेरो प्यारे, तुमरी सेवा कवन-कवन न तारे’’ प्रस्तुत करते हुए सेवा की महिमा बताई। उन्होंने समस्त सनातन धर्मावलम्बियों से ’’हिन्दू धर्म व्यवस्था’’ नामक ग्रन्थ का अध्ययन करने का आव्हान किया। उन्होंने बताया कि इस ग्रन्थ की रचना सक्खर साधुवेला के महापुरूषो द्वारा लगभग 600 सन्दर्भ पुस्तकों का समावेश करते हुए की है। सांसरिका सुखो की प्रधानता हीअन्ततः दुख का कारण बनती है। केवल मात्र सनातन ग्रन्थो व महापुरूषो के वचन पालन से ही जीवन सुखी एवं सफल हो सकता है।

सांयकाल में धर्मध्वजारोहण के अवसर पर आश्रम में राजस्थान के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी, विधायक विट्ठलशंकर अवस्थी, यूआईटी अध्यक्ष गोपाल खण्डेलवाल, भाजपा जिलाध्यक्ष दामोदर अग्रवाल, महामंत्री कल्पेश चौधरी, उपाध्यक्ष ईश्वर केसवानी, प्रवक्ता विनोद झुरानी, पार्षद कैलाश कृपलानी, भारतीय सिन्धु सभा के प्रदेश महामंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी, अजमेर अध्यक्ष मोहन तुलस्याणी, भीलवाड़ा अध्यक्ष वीरूमल पुरसवाणी सहित पदाधिकारियों गणमान्यजन ने गुरूओं की समाधियों पर शीश निवाया व संतो-महात्माओं चौसे आशीर्वाद प्राप्त किया।

परम्परानुसार ध्वजारोहण कार्यक्रम में संतो-महात्माओं के सान्निध्य में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच  बैण्ड एवं भजन की धुनों पर श्रद्धालुगण नाच उठे। भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा का स्वागत किया गया। प्रसाद एवं ठण्डाई वितरीत की गई। सांयकाल में नितनेम, प्रार्थना होकर गुरूओं की समाधि पर श्रद्धालुओं द्वारा चादरें चढ़ाई गई। अजमेर, भोपाल, अहमदाबाद, मुम्बई, उल्लासनगर की भगत मण्डलियों का सभी ने लाभ उठाया।

संत मयाराम ने बताया कि कल रविवार 26 जून 2017 को प्रथम दिन रखे गये श्री श्रीचन्द्र सिद्धान्त सागर के अखण्ड पाठ का भोग पड़ेगा। श्री रामायण अखण्ड पाठ प्रारम्भ होगा एवं संतो-महात्माओं के प्रवचन-भजन होंगे तथा सांयकाल में बाहर से आई हुई भगत मण्डलियों द्वारा सूफी भगत कार्यक्रम प्रस्तुत किये जायेंगे।

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