...तो क्या फर्जी भी हो सकता है आनंदपाल सिंह का एनकाउंटर?
जयपुर। साल 2015 में पुलिस को गच्चा देकर फरार हुआ आनंदपाल पिछले डेढ़ साल से लगातार पुलिस को छका रहा था, जिसे पुलिस ने कल देर रात चुरू के मालासर में हुई मुठभेड़ में मार गिराया है। आनंदपाल सिंह की गिरफ्तारी के लिए पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई के दौरान आनंदपाल की ओर से की गई फायरिंग के जवाब में पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग शुरू की, जिसमें पुलिस की छह गोलियों ने आनंदपाल को ढेर कर दिया। पुलिस एनकाउंटर में हुई आनंदपाल की मौत के साथ ही उसके आतंक और दहशत का भी खात्मा हो चुका है।
वहीं दूसरी ओर, सोशल मीडिया की बात की जाए तो आज सोशल मीडिया के दौर में आनंदपाल के प्रशंसकों की भी अच्छी खासी तादाद है। आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद सोशल मीडिया में तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। आलम ये है कि सोशल मीडिया पर आनंदपाल ट्रेंड कर रहा है और लोग कई तरह की बातें कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर आनंदपाल सिंह की मौत के बाद कई लोग उसे श्रद्धांजलि दे रहे हैं और कुछ लोगों को आनंदपाल की मौत का अभी तक विश्वास नहीं हो रहा है तो कोई आनंदपाल की मौत की खबर को ही झूठी खबर बता रहा है। वहीं कुछ लोगों का ये भी कहना है कि आनंदपाल का एनकाउंटर ही फर्जी है, पुलिस ने उसे मारा है। कुछ लोग आनंदपाल को 'रियल वॉरियर' बता रहे हैं, वहीं कोई कह रहा है कि '1 साल से आनंदपाल के परिवार वाले समर्पण के लिए राजी थे पर आनंदपाल को राजनितिक शिकार होना पड़ा उनकी कोई नही सुनने वाला रहा इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए।'
ऐसे में रविवार को आनंदपाल सिंह के गांव सांवराद में माहौल तनावपूर्ण हो गया है। गांव में लोगों ने पुलिस जीप पर पथराव कर दिया है। वहीं दूसरी ओर आनंदपाल के परिजनों ने उसका शव लेने से इनकार कर दिया है। परिजनों ने मांग की कि पहले रुपेंद्र पाल और मंजीत को भी सांवराद लाया जाए। उन्होंने कहा कि इस मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए। परिजनों ने कहा कि दोनों भाइयों की मौजूदगी में ही होगा अंतिम संस्कार। दूसरी ओर करीब एक हजार लोगों ने आनंदपाल के गांव सांवराद में लाडनूं मेगाहाइवे जाम कर दिया। इससे प्रशासन व पुलिस अब इस पर नई रणनीति बनाने में जुट गया है।
बहरहाल, ऐसे में चाहे कुछ भी हो, लेकिन इतना जरूर है कि राजस्थान समेत पांच राज्यों की पुलिस के लिए मोस्ट वांटेड क्रिमिनल बन चुके गैंगस्टर आनंदपाल की मौत के साथ ही उसके आतंक और दहशत का भी अंत हो गया है। आनंदपाल की ओर से की गई फायरिंग के बाद पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए उसका एनकांउटर कर दिया और उसे मार गिराया। इसके साथ ही आनंदपाल और उसके आतंक का खत्मा हो गया।
वहीं दूसरी ओर, सोशल मीडिया की बात की जाए तो आज सोशल मीडिया के दौर में आनंदपाल के प्रशंसकों की भी अच्छी खासी तादाद है। आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद सोशल मीडिया में तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। आलम ये है कि सोशल मीडिया पर आनंदपाल ट्रेंड कर रहा है और लोग कई तरह की बातें कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर आनंदपाल सिंह की मौत के बाद कई लोग उसे श्रद्धांजलि दे रहे हैं और कुछ लोगों को आनंदपाल की मौत का अभी तक विश्वास नहीं हो रहा है तो कोई आनंदपाल की मौत की खबर को ही झूठी खबर बता रहा है। वहीं कुछ लोगों का ये भी कहना है कि आनंदपाल का एनकाउंटर ही फर्जी है, पुलिस ने उसे मारा है। कुछ लोग आनंदपाल को 'रियल वॉरियर' बता रहे हैं, वहीं कोई कह रहा है कि '1 साल से आनंदपाल के परिवार वाले समर्पण के लिए राजी थे पर आनंदपाल को राजनितिक शिकार होना पड़ा उनकी कोई नही सुनने वाला रहा इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए।'
ऐसे में रविवार को आनंदपाल सिंह के गांव सांवराद में माहौल तनावपूर्ण हो गया है। गांव में लोगों ने पुलिस जीप पर पथराव कर दिया है। वहीं दूसरी ओर आनंदपाल के परिजनों ने उसका शव लेने से इनकार कर दिया है। परिजनों ने मांग की कि पहले रुपेंद्र पाल और मंजीत को भी सांवराद लाया जाए। उन्होंने कहा कि इस मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए। परिजनों ने कहा कि दोनों भाइयों की मौजूदगी में ही होगा अंतिम संस्कार। दूसरी ओर करीब एक हजार लोगों ने आनंदपाल के गांव सांवराद में लाडनूं मेगाहाइवे जाम कर दिया। इससे प्रशासन व पुलिस अब इस पर नई रणनीति बनाने में जुट गया है।
बहरहाल, ऐसे में चाहे कुछ भी हो, लेकिन इतना जरूर है कि राजस्थान समेत पांच राज्यों की पुलिस के लिए मोस्ट वांटेड क्रिमिनल बन चुके गैंगस्टर आनंदपाल की मौत के साथ ही उसके आतंक और दहशत का भी अंत हो गया है। आनंदपाल की ओर से की गई फायरिंग के बाद पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए उसका एनकांउटर कर दिया और उसे मार गिराया। इसके साथ ही आनंदपाल और उसके आतंक का खत्मा हो गया।
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