गृहमंत्री झूठ बोल रहे हैं, सांवराद में गोलीबारी के लिये सरकार जिम्मेदार : खाचरियावास
जयपुर। 'आनन्दपाल एनकाउंटर मामले में सीबीआई जांच की मांग पर सांवराद में 12 जुलाई को आयोजित श्रृद्धांजलि सभा में लोगों पर पुलिस द्वारा फायरिंग की गई। इस फायरिंग के बाद लालचंद शर्मा नाम के एक व्यक्ति की मौत और दो व्यक्तियों के गोली लगने से घायल होने के लिये राज्य की भाजपा सरकार और पुलिस प्रशासन जिम्मेदार है।' राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एवं जयपुर शहर जिलाध्यक्ष प्रतापसिंह खाचरियावास ने आज ये बात कही है।
राजधानी जयपुर में आयोजित प्रेसवार्ता में प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा कि सरकार यह भलीभांति जानती थी कि सांवराद गांव में लाखों लोग श्रृद्धांजलि सभा में जुटेगें। इसके बावजूद राज्य की भाजपा सरकार ने समस्या का समाधान करने की बजाय लोगों को भड़काने के लिये आग में घी डालने का काम किया। पिछले 18 दिन से जो परिवार और गांव के लोग सीबीआई जांच की मांग को लेकर आनंदपाल की लाश लेकर बैठे थे, पहले दिन से ही पुलिस गांव वालों और आने-जाने वाले लोगों को परेशान करने में लगी रही।
उन्होंने कहा कि इससे पूरे प्रदेश और देश में यह माहौल बना कि राज्य की भाजपा सरकार सीबीआई जांच कराने की बजाय लाश के लिये न बर्फ ले जाने दे रही है, न गांव के लोगों को रोटी-पानी और आटा लाने दे रही है। जो दुःख व्यक्त करने जा रहा है उसे रोका जा रहा है और सांवराद गांव में जाने वाले लोगों की गाड़ियां जब्त करके उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है। ऐसा पुलिस ने लगातार जारी भी रखा।
आनंदपाल के गांव सांवराद में 12 जुलाई को श्रृद्धांजलि सभा में भीड़ को रोकने के लिये प्रदेश के सभी जिलों में मंत्रियों को जिम्मेदारियां सौंपी गई। मंत्री और सरकार भीड़ को रोकने में लगे रहे और जब भीड़ बढ़ गई तो सरकार ने वहां से पुलिस फोर्स को पीछे हटाने की बजाय आक्रोशित भीड़ से सख्ती से निपटने के लिये प्रेरित किया। इसी का परिणाम रहा कि जयपुर से सरकार के बड़े नेताओं ने फोन करके पटरियों पर बैठे लोगों पर फायरिंग करवा दी। फायरिंग में जब एक व्यक्ति लालचंद शर्मा की मौत हो गई और अनेक लोग घायल हो गये तो भीड़ उग्र हो गई और उग्र होने के बाद पुलिस और भीड़ में लाठी-भाटा जंग शुरू हो गई।
खाचरियावास ने कहा कि वे स्वयं एसएमएस अस्पताल जाकर घायल पुलिसकर्मियों से मिले, किसी भी पुलिसकर्मी ने उन्हें यह नहीं बताया कि उनके ऊपर भीड़ द्वारा फायरिंग की गई। किसी भी पुलिसकर्मी को गोली नहीं लगी। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने 12 जुलाई की शाम को टीवी पर यह बयान दिया था कि हमारे पुलिसवालों की राईफल और स्टेनगन छीन ली गई है तथा पुलिसवालों को गोलियां लगी है। गृहमंत्री और सरकार ने जो गोली पुलिस ने चलाई, वो गोली आंदोलनकारियों द्वारा चलाई हुई बताई। इससे बड़ा सफेद झूठ कोई गृहमंत्री और सरकार बोल नहीं सकती। अब यह सच सामने आ गया है कि किसी भी पुलिस वाले को गोली नहीं लगी, पुलिस वालों पर किसी धारदार हथियार से हमला नहीं हुआ, पुलिस के जो चोटें आई वो पत्थर लगने से आई।
इतनी बड़ी भीड़ द्वारा यदि पुलिस पर हमला किया जाता तो बहुत बड़ी संख्या में पुलिसवाले घायल हो सकते थे, लेकिन भीड़ के 99 प्रतिशत से ज्यादा लोग पुलिस और भीड़ के टकराव को टालने में लगे हुए थे और रात को 10 बजे तक भीड़ के आंदोलनकारी नेताओं ने पुलिस और जनता का टकराव टालकर, मीटिंग स्थल पर उपस्थित 3 लाख से ज्यादा लोगों को शांतिपूर्वक ढंग से अपने घर जाने को प्रेरित किया। कुल भीड़ 5 लाख से ज्यादा एकत्रित हुई थी, जिसको जिस तरह से बदनाम किया जा रहा है, वो बिल्कुल गलत है। सांवराद, जयपुर, मध्यप्रदेश, जोधपुर, बाडमेर, महाराष्ट्र, गुजरात तक से जो भीड़ आई, आने से लेकर वापिस जाने तक न तो भीड़ ने कहीं रास्ता रोका न कोई तोड़-फोड़ की और ना ही पुलिस से झगडा किया। फिर गृहमंत्री, राज्य सरकार और सरकार के नेता जिस ढंग से नागरिकों की भीड़ को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं वो निन्दनीय और प्रदेश के माहौल को खराब करने वाला है।
खाचरियावास ने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि अपनी एक गलती को छिपाने के लिये गोलियों के जरिये और मांओं की कोख उजाड़ने की कोशिश न करें। महेन्द्र सिंह गोली लगने से गंभीर हालत में एसएमएस में अपना ईलाज करवा रहा है, लालचंद की मौत के लिये भाजपा सरकार जिम्मेदार है और सांवराद में जो लोग घायल हुये हैं और पुलिस के घायल होने के लिये भी भाजपा सरकार जिम्मेदार है। यदि सरकार समय रहते सही फैसला करती तो यह स्थिति नहीं बिगड़ती। किसी भी एनकाउंटर के बाद सीबीआई जांच मांगना परिजनों का और मरने वाले से सद्भावना रखने वाले लोगों का संवैधानिक अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अनुसार एनकाउंटर के बाद सीबीआई जांच होना एक कानूनी प्रक्रिया है, लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य की भाजपा सरकार ने आनन्दपाल का फर्जी एनकाउंटर कराया। उस फर्जी एनकाउंटर की जांच से बचने के लिये भाजपा सरकार ने जोधपुर हाईकोर्ट में केवीएट लगाई, जिससे कोर्ट से आनन्दपाल के परिजन सीबीआई जांच की मांग करे तो राज्य सरकार उसको रोकने के लिये कोर्ट में उपस्थित हो सके। हाईकोर्ट में केवीएट लगाने से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार की दाल में कुछ काला है और अब सरकार गोलियां चलाकर आंदोलन को कुचलना चाहती है।
राजधानी जयपुर में आयोजित प्रेसवार्ता में प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा कि सरकार यह भलीभांति जानती थी कि सांवराद गांव में लाखों लोग श्रृद्धांजलि सभा में जुटेगें। इसके बावजूद राज्य की भाजपा सरकार ने समस्या का समाधान करने की बजाय लोगों को भड़काने के लिये आग में घी डालने का काम किया। पिछले 18 दिन से जो परिवार और गांव के लोग सीबीआई जांच की मांग को लेकर आनंदपाल की लाश लेकर बैठे थे, पहले दिन से ही पुलिस गांव वालों और आने-जाने वाले लोगों को परेशान करने में लगी रही।
उन्होंने कहा कि इससे पूरे प्रदेश और देश में यह माहौल बना कि राज्य की भाजपा सरकार सीबीआई जांच कराने की बजाय लाश के लिये न बर्फ ले जाने दे रही है, न गांव के लोगों को रोटी-पानी और आटा लाने दे रही है। जो दुःख व्यक्त करने जा रहा है उसे रोका जा रहा है और सांवराद गांव में जाने वाले लोगों की गाड़ियां जब्त करके उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है। ऐसा पुलिस ने लगातार जारी भी रखा।
आनंदपाल के गांव सांवराद में 12 जुलाई को श्रृद्धांजलि सभा में भीड़ को रोकने के लिये प्रदेश के सभी जिलों में मंत्रियों को जिम्मेदारियां सौंपी गई। मंत्री और सरकार भीड़ को रोकने में लगे रहे और जब भीड़ बढ़ गई तो सरकार ने वहां से पुलिस फोर्स को पीछे हटाने की बजाय आक्रोशित भीड़ से सख्ती से निपटने के लिये प्रेरित किया। इसी का परिणाम रहा कि जयपुर से सरकार के बड़े नेताओं ने फोन करके पटरियों पर बैठे लोगों पर फायरिंग करवा दी। फायरिंग में जब एक व्यक्ति लालचंद शर्मा की मौत हो गई और अनेक लोग घायल हो गये तो भीड़ उग्र हो गई और उग्र होने के बाद पुलिस और भीड़ में लाठी-भाटा जंग शुरू हो गई।
खाचरियावास ने कहा कि वे स्वयं एसएमएस अस्पताल जाकर घायल पुलिसकर्मियों से मिले, किसी भी पुलिसकर्मी ने उन्हें यह नहीं बताया कि उनके ऊपर भीड़ द्वारा फायरिंग की गई। किसी भी पुलिसकर्मी को गोली नहीं लगी। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने 12 जुलाई की शाम को टीवी पर यह बयान दिया था कि हमारे पुलिसवालों की राईफल और स्टेनगन छीन ली गई है तथा पुलिसवालों को गोलियां लगी है। गृहमंत्री और सरकार ने जो गोली पुलिस ने चलाई, वो गोली आंदोलनकारियों द्वारा चलाई हुई बताई। इससे बड़ा सफेद झूठ कोई गृहमंत्री और सरकार बोल नहीं सकती। अब यह सच सामने आ गया है कि किसी भी पुलिस वाले को गोली नहीं लगी, पुलिस वालों पर किसी धारदार हथियार से हमला नहीं हुआ, पुलिस के जो चोटें आई वो पत्थर लगने से आई।
इतनी बड़ी भीड़ द्वारा यदि पुलिस पर हमला किया जाता तो बहुत बड़ी संख्या में पुलिसवाले घायल हो सकते थे, लेकिन भीड़ के 99 प्रतिशत से ज्यादा लोग पुलिस और भीड़ के टकराव को टालने में लगे हुए थे और रात को 10 बजे तक भीड़ के आंदोलनकारी नेताओं ने पुलिस और जनता का टकराव टालकर, मीटिंग स्थल पर उपस्थित 3 लाख से ज्यादा लोगों को शांतिपूर्वक ढंग से अपने घर जाने को प्रेरित किया। कुल भीड़ 5 लाख से ज्यादा एकत्रित हुई थी, जिसको जिस तरह से बदनाम किया जा रहा है, वो बिल्कुल गलत है। सांवराद, जयपुर, मध्यप्रदेश, जोधपुर, बाडमेर, महाराष्ट्र, गुजरात तक से जो भीड़ आई, आने से लेकर वापिस जाने तक न तो भीड़ ने कहीं रास्ता रोका न कोई तोड़-फोड़ की और ना ही पुलिस से झगडा किया। फिर गृहमंत्री, राज्य सरकार और सरकार के नेता जिस ढंग से नागरिकों की भीड़ को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं वो निन्दनीय और प्रदेश के माहौल को खराब करने वाला है।
खाचरियावास ने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि अपनी एक गलती को छिपाने के लिये गोलियों के जरिये और मांओं की कोख उजाड़ने की कोशिश न करें। महेन्द्र सिंह गोली लगने से गंभीर हालत में एसएमएस में अपना ईलाज करवा रहा है, लालचंद की मौत के लिये भाजपा सरकार जिम्मेदार है और सांवराद में जो लोग घायल हुये हैं और पुलिस के घायल होने के लिये भी भाजपा सरकार जिम्मेदार है। यदि सरकार समय रहते सही फैसला करती तो यह स्थिति नहीं बिगड़ती। किसी भी एनकाउंटर के बाद सीबीआई जांच मांगना परिजनों का और मरने वाले से सद्भावना रखने वाले लोगों का संवैधानिक अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अनुसार एनकाउंटर के बाद सीबीआई जांच होना एक कानूनी प्रक्रिया है, लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य की भाजपा सरकार ने आनन्दपाल का फर्जी एनकाउंटर कराया। उस फर्जी एनकाउंटर की जांच से बचने के लिये भाजपा सरकार ने जोधपुर हाईकोर्ट में केवीएट लगाई, जिससे कोर्ट से आनन्दपाल के परिजन सीबीआई जांच की मांग करे तो राज्य सरकार उसको रोकने के लिये कोर्ट में उपस्थित हो सके। हाईकोर्ट में केवीएट लगाने से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार की दाल में कुछ काला है और अब सरकार गोलियां चलाकर आंदोलन को कुचलना चाहती है।
No comments