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चमत्कार या कुछ और : डॉक्टरों ने कर दिया मृत घोषित, घर पहुंचते ही उठ खड़ा हुआ मुर्दा!

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अजमेर। अब तक आपने किसी कहानी—किस्से या फिर बमुश्किल किसी खबर में सुना होगा कि कोई मुर्दा फिर से जीवित हो गया, लेकिन ऐसा ही एक वाकिया पेश आया है राजस्थान के अजमेर मेंं। जी हां, अजमेर संभाग के निजी अस्पताल मित्तल हॉस्पिटल में यूं तो कई प्रकार के चमत्कार होते आए हैं, लेकिन अस्पताल द्वारा कथित रूप से मृत घोषित कर दिए गए एक व्यक्ति को घर ले जाने के बाद जीवित होने का चमत्कार आज पहली बार सामने आया है।

दरअसल, अजमेर में वरिष्ठ नेता अशोक यादव की मां तारावती यादव जो पिछले 1 सप्ताह पहले हुए ऑपरेशन के बाद अपने घर पर ही स्वास्थ्य लाभ ले रही थीं। इस दौरान अचानक से वह बेहोश हो गई, जिसके बाद उन्हें तुरंत मित्तल हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां पर आपातकालीन यूनिट में मौजूद चिकित्सकों ने ईसीजी, बीपी व अन्य आवश्यक जांचें कर बताया कि ईसीजी की लाइन सीधी आ रही है, पल्स नहीं है, आंखें भी पथरा गई है। इसलिए अब कोई उम्मीद नहीं है, इन्हें घर ले जाइए।

इसके बाद तारावती के शरीर को सफेद चादर से कफन के रूप में ढक दिया गया। हो सकता है मेडिकल साइंस के अनुसार यह ठीक भी हो, लेकिन जब उनको बिना जीवन रक्षक उपकरणों वाली एम्बुलेंस में उनके पैतृक गांव मेड़ता रोड स्थित घर के बाहर लाया गया और उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां की जाने लगी। तभी तारवती की बेटी ने कहा कि, 'मां घर आ गया' और तभी अचानक तारावती के हाथ पैरों में कंपन होने लगा।

इसके बाद तुरंत चिकित्सक को बुलाया गया, जिन्होंने बताया कि इनकी पल्स अभी चल रही है। इस पर तुरंत उन्हें मेड़ता सिटी के श्री कृष्णा हॉस्पिटल ले जाकर भर्ती कराया गया, जहां पर डॉक्टर ने ईसीजी, ब्लड प्रेशर, पल्स आदि की जांच कर त्वरित उपचार शुरू किया। इसके बाद तारावती की हालत में तेजी से सुधार होने लगा।

तारावती के भतीजे अरविंद यादव का कहना है कि उन्हें हार्ट- अटैक आया था। इसलिए उपचार के लिए आवश्यक संसाधनों से युक्त बड़े हार्ट सेंटर में इनको ले जाया जाए। तब तुरंत फैसला कर उन्हें क्रिटिकल एम्बुलेंस में मेड़ता से अजमेर लाकर सरकारी जेएलएन चिकित्सालय के कार्डियोलॉजी विभाग में भर्ती कराया गया, जहां वरिष्ठ चिकित्सकों ने तुरंत उनका उपचार शुरू कर दिया। फिलहाल तारावती का ईलाज जारी है। 


वहीं इस मामले में मित्तल हॉस्पिटल प्रशासन का कहना है कि हमने मरीज को पूरी तरह से मृत घोषित नहीं किया था, बल्कि उसे आईसीयू में शिफ्ट करने के लिए कहा था। लेकिन परिजनों ने हमारी बात नहीं मानी और मरीज को अपने घर ले गए।

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