अपनी मां और जवाहरलाल नेहरू के रिश्तों के बारे में एडविना की बेटी ने किया बड़ा खुलासा
नई दिल्ली। भारत के आखिरी वायसराय लॉर्ड लूईस माउंटबेटन की पत्नी लेडी एडविना माउंटबेटन और पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बीच सम्बंधों को लेकर लेडी एडविना माउंटबेटन की बेटी पामेला माउंटबेटन का बयान सामने आया है। पामेला माउंटबेटन ने इस बारे में कहा है कि जवाहरलाल नेहरू और एडविना माउंटबेटन एक-दूसरे से प्रेम करते थे और सम्मान करते थे, लेकिन उनका संबंध कभी जिस्मानी नहीं रहा, क्योंकि वे कभी अकेले नहीं मिले।
19 अप्रैल 1929 को जन्मी लॉर्ड लूईस माउंटबेटन और उनकी पत्नी लेडी एडविना माउंटबेटन की बेटी पामेला माउंटबेटन का कहना है, उनकी मां को पंडितजी में वह साथी, आत्मिक समानता और बुद्धिमतता मिली, जिसे वह हमेशा से चाहती थीं। लेकिन नेहरू के पत्र (जो नेहरू ने उनकी मां को लिखे थे) पढ़ने के बाद पामेला को एहसास हुआ कि वह और मेरी मां किस कदर एक-दूसरे से प्रेम करते थे और सम्मान करते थे।
पामेला के मुताबिक, उनकी मां औऱ नेहरू के बीच का रिश्ता आत्मिक एवं भावनात्मक था, न कि शारीरिक आकर्षण का। इसलिए दोनों के बीच में कभी भी कोई सेक्सुअल रिलेशनशिप नहीं हुए, यही बहुत बड़ा कारण था, जिसके कारण मेरे पिता लॉर्ड माउंटबेटन ने मेरी मां और नेहरू के रिश्ते पर कोई आपत्ति नहीं जताई। पामेला के मुताबिक उनकी मां, नेहरू के बौद्धिक स्तर से काफी प्रभावित थीं, उनसे भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई थीं, इसीलिए वो उनसे हद से ज्यादा प्यार करती थीं।
गौरतलब है कि माउंटबेटन जब भारत के अंतिम वायसराय नियुक्त होकर आये थे, उस वक्त पामेला की उम्र करीब 17 साल थी और उन्होंने अपनी मां एडविना एश्ले और नेहरू के बीच गहरे सम्बंधों को विकसित होते हुए देखा है। साल 2012 में लिखी गई पामेला ने अपनी पुस्तक 'द रिलेशनशिप रिमेन्ड प्लेटॉलिक' के दूसरे भाग 2016 में लिखी 'डॉटर ऑफ एंपायर : लाइफ एज ए माउंटबेटन' पुस्तक में लिखा है कि, यह बात तथ्य से बिलकुल परे है, क्योंकि मेरी मां या पंडितजी के पास यौन संबंधों के लिए समय ही नहीं था, दोनों बिरले ही अकेले होते थे। उनके आसपास हमेशा कर्मचारी, पुलिस और अन्य लोग मौजूद होते थे।
पामेला ने ये भी लिखा है कि भारत से जाते हुए एडविना अपनी पन्ने की अंगूठी नेहरू को भेंट करना चाहती थीं, लेकिन उन्हें पता था कि वह स्वीकार नहीं करेंगे। इसलिए उन्होंने अंगूठी उनकी बेटी इंदिरा को दी और कहा, यदि वह कभी भी वित्तीय संकट में पड़ते हैं, तो उनके लिए इसे बेच दें, क्योंकि वह अपना सारा धन बांटने के लिए प्रसिद्ध हैं। पामेला की पुस्तक के मुताबिक, उनकी मां और जवाहरलाल नेहरू दोनों एक—दूसरे के अकेलेपन को दूर करने में एक—दूसरे की मदद किया करते थे। नेहरू की बातें पामेला की मां को हमेशा सकून प्रदान करती थीं। यहीं कारण है कि दोनों के बीच पूरी तरह से आत्मिक एवं भावनात्मक रिश्ते थे।
19 अप्रैल 1929 को जन्मी लॉर्ड लूईस माउंटबेटन और उनकी पत्नी लेडी एडविना माउंटबेटन की बेटी पामेला माउंटबेटन का कहना है, उनकी मां को पंडितजी में वह साथी, आत्मिक समानता और बुद्धिमतता मिली, जिसे वह हमेशा से चाहती थीं। लेकिन नेहरू के पत्र (जो नेहरू ने उनकी मां को लिखे थे) पढ़ने के बाद पामेला को एहसास हुआ कि वह और मेरी मां किस कदर एक-दूसरे से प्रेम करते थे और सम्मान करते थे।
पामेला के मुताबिक, उनकी मां औऱ नेहरू के बीच का रिश्ता आत्मिक एवं भावनात्मक था, न कि शारीरिक आकर्षण का। इसलिए दोनों के बीच में कभी भी कोई सेक्सुअल रिलेशनशिप नहीं हुए, यही बहुत बड़ा कारण था, जिसके कारण मेरे पिता लॉर्ड माउंटबेटन ने मेरी मां और नेहरू के रिश्ते पर कोई आपत्ति नहीं जताई। पामेला के मुताबिक उनकी मां, नेहरू के बौद्धिक स्तर से काफी प्रभावित थीं, उनसे भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई थीं, इसीलिए वो उनसे हद से ज्यादा प्यार करती थीं।
गौरतलब है कि माउंटबेटन जब भारत के अंतिम वायसराय नियुक्त होकर आये थे, उस वक्त पामेला की उम्र करीब 17 साल थी और उन्होंने अपनी मां एडविना एश्ले और नेहरू के बीच गहरे सम्बंधों को विकसित होते हुए देखा है। साल 2012 में लिखी गई पामेला ने अपनी पुस्तक 'द रिलेशनशिप रिमेन्ड प्लेटॉलिक' के दूसरे भाग 2016 में लिखी 'डॉटर ऑफ एंपायर : लाइफ एज ए माउंटबेटन' पुस्तक में लिखा है कि, यह बात तथ्य से बिलकुल परे है, क्योंकि मेरी मां या पंडितजी के पास यौन संबंधों के लिए समय ही नहीं था, दोनों बिरले ही अकेले होते थे। उनके आसपास हमेशा कर्मचारी, पुलिस और अन्य लोग मौजूद होते थे।
पामेला ने ये भी लिखा है कि भारत से जाते हुए एडविना अपनी पन्ने की अंगूठी नेहरू को भेंट करना चाहती थीं, लेकिन उन्हें पता था कि वह स्वीकार नहीं करेंगे। इसलिए उन्होंने अंगूठी उनकी बेटी इंदिरा को दी और कहा, यदि वह कभी भी वित्तीय संकट में पड़ते हैं, तो उनके लिए इसे बेच दें, क्योंकि वह अपना सारा धन बांटने के लिए प्रसिद्ध हैं। पामेला की पुस्तक के मुताबिक, उनकी मां और जवाहरलाल नेहरू दोनों एक—दूसरे के अकेलेपन को दूर करने में एक—दूसरे की मदद किया करते थे। नेहरू की बातें पामेला की मां को हमेशा सकून प्रदान करती थीं। यहीं कारण है कि दोनों के बीच पूरी तरह से आत्मिक एवं भावनात्मक रिश्ते थे।
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