आईसीआईसीआई बैंक ने बनाया राजस्थान के ग्यारह गांवों को 'डिजिटल विलेजेज'
जयपुर। निजी क्षेत्र के बैंक आईसीआईसीआई ने '100 आईसीआईसीआई डिजीटल विलेजेज' राष्ट्र का समर्पित किए हैं। बैंक का प्रयास है कि वह सशक्त ग्रामीण भारत का निर्माण कर राष्ट्र की प्रगति में अपना योगदान दे। इस कार्यक्रम में डिजीटीकृत लेनदेन एवं अन्य व्यवसायिक गतिविधियां, ग्रामीणों को व्यावाहरिक प्रशिक्षण प्रदान करना, उनकी ऋण सुविधा को विस्तार देना एवं ग्रामीणों को बाजार को आंकने का ज्ञान देकर उनके लिए स्थाई आजीविका देना शामिल हैं। बैंक ने इस कार्यक्रम के तहत राजस्थान के ग्यारह गांवों को डिजीटल गांवों के रूप में बदला है।
देश के केन्द्रीय वित्त, रक्षा एवं काॅरपोरेट अफेयर मंत्री अरुण जेटली ने इन 100 'आईसीआईसीआई गांवों का आईसीआईसीआई रूरल समिट 'सशक्त गांव, समृद्ध भारत' के दौरान किया, जिसका आयोजन इस वर्ष मई माह में नई दिल्ली में किया गया। यह महत्वाकांक्षी कदम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण सशक्त ग्रामीण भारत के तहत है। जनवरी 2015 में, उन्होंने पहले 'आईसीआईसीआई डिजीटल विलेज' गुजरात के साबरकांठा जिले के आकोदरा देश को समर्पित किया था। यह आयोजन आईसीआईसीआई ग्रुप के भारत में 60 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में किया गया था।
इस पहल के बारे में जानकारी देते हुए आईसीआईसीआई बैंक की प्रबन्ध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर ने कहा कि आईसीआईसीआई का सदैव यही मानना रहा है कि यदि किसी राष्ट्र को समृद्ध करना है तो उसके गावों को सशक्त किया जाना जरूरी है। इसी दृष्टिकोण 'सशक्त गांव-समृद्ध भारत' तर्ज पर चलते हुए हमने पूरे देश में केवल 100 दिन के भीतर ही 100 गांवों में लेनदेन की छवि को एकदम बदल दिया है। हमने इन गांवों में एक ऐसा पारिस्थिकी तन्त्र कायम किया, जिसमें नकदी की आवश्यकता कम हो, यहां हमने 11,300 ग्रामीणो जिनमें 7500 महिलाएं भी शामिल हैं, को व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया और उन्हें क्रेडिट लिंकेज प्रदान की।
उन्होंने कहा कि, हमनें यह सभी काम विगत 100 दिनों के भीतर पूरा किया है। इस पहल के माध्यम से हमारा लक्ष्य यह बताना है कि टैक्नोलाॅजी और कौशल का उपयोग कर गांवों और शहरों के बीच के अंतर को समाप्त किया जा सकता है। मुझे विश्वास है कि यह बड़ी परियोजना माननीय प्रधानमंत्री के विजन डिजीटल इण्डिया और मेक इन इण्डिया दोनों का सार्थक करने में एक महत्वपूर्ण योगदान होगी। हम इन गांवों की संख्या को और बढ़ाना चाहते हैं तथा दिसम्बर 2017 तक इस प्रकार के 500 डिजीटल गांव तैयार करने का लक्ष्य है। इस प्रक्रिया में हम और 50,000 व्यक्तियों को प्रशिक्षित करेंगे जिनका प्रभाव 12.5 लाख जीवनों पर पड़ेगा।
देश के केन्द्रीय वित्त, रक्षा एवं काॅरपोरेट अफेयर मंत्री अरुण जेटली ने इन 100 'आईसीआईसीआई गांवों का आईसीआईसीआई रूरल समिट 'सशक्त गांव, समृद्ध भारत' के दौरान किया, जिसका आयोजन इस वर्ष मई माह में नई दिल्ली में किया गया। यह महत्वाकांक्षी कदम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण सशक्त ग्रामीण भारत के तहत है। जनवरी 2015 में, उन्होंने पहले 'आईसीआईसीआई डिजीटल विलेज' गुजरात के साबरकांठा जिले के आकोदरा देश को समर्पित किया था। यह आयोजन आईसीआईसीआई ग्रुप के भारत में 60 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में किया गया था।
इस पहल के बारे में जानकारी देते हुए आईसीआईसीआई बैंक की प्रबन्ध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर ने कहा कि आईसीआईसीआई का सदैव यही मानना रहा है कि यदि किसी राष्ट्र को समृद्ध करना है तो उसके गावों को सशक्त किया जाना जरूरी है। इसी दृष्टिकोण 'सशक्त गांव-समृद्ध भारत' तर्ज पर चलते हुए हमने पूरे देश में केवल 100 दिन के भीतर ही 100 गांवों में लेनदेन की छवि को एकदम बदल दिया है। हमने इन गांवों में एक ऐसा पारिस्थिकी तन्त्र कायम किया, जिसमें नकदी की आवश्यकता कम हो, यहां हमने 11,300 ग्रामीणो जिनमें 7500 महिलाएं भी शामिल हैं, को व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया और उन्हें क्रेडिट लिंकेज प्रदान की।
उन्होंने कहा कि, हमनें यह सभी काम विगत 100 दिनों के भीतर पूरा किया है। इस पहल के माध्यम से हमारा लक्ष्य यह बताना है कि टैक्नोलाॅजी और कौशल का उपयोग कर गांवों और शहरों के बीच के अंतर को समाप्त किया जा सकता है। मुझे विश्वास है कि यह बड़ी परियोजना माननीय प्रधानमंत्री के विजन डिजीटल इण्डिया और मेक इन इण्डिया दोनों का सार्थक करने में एक महत्वपूर्ण योगदान होगी। हम इन गांवों की संख्या को और बढ़ाना चाहते हैं तथा दिसम्बर 2017 तक इस प्रकार के 500 डिजीटल गांव तैयार करने का लक्ष्य है। इस प्रक्रिया में हम और 50,000 व्यक्तियों को प्रशिक्षित करेंगे जिनका प्रभाव 12.5 लाख जीवनों पर पड़ेगा।
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