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वेदों को घर-घर की आवाज बनाये : राज्यपाल

अजमेर। कुलाधिपति एवं राज्यपाल कल्याण सिंह ने कहा है कि वेद न केवल भारतवर्ष की बल्कि विश्व संस्कृति का आधार हैं। वेद पर विश्व मे शोध हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि ’’वेदों में जो भाष्य लिखे गये हैं वे आमजन के लिए बोधगम्य नहीं हैं। यह विश्वविद्यालय महर्षि दयानन्द सरस्वती शोध पीठ के माध्यम से वेदों के सार को, उनके मूल तत्व को ऐसी सीधी, सरल एवं आमजन की भाषा में तैयार करें जिससे वेद घर-घर की आवाज बन सके।

राज्यपाल सिंह मंगलवार को अजमेर के महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय के आठवें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने छात्र-छात्राओं को उपाधियां एवं स्वर्ण पदक प्रदान किये। कुलाधिपति का स्वर्ण पदक भूमिका माधु को प्रदान किया गया।

राज्यपाल सिंह ने कहा कि ’’वेदों को जन-जन तक सरल भाषा में पहुँचाने के लिए विश्वविद्यालय यदि सफल रहा तो यह स्वामी दयानन्द सरस्वती जी को सच्ची श्रद्वांजलि होगी और स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के ’’गो टु वेदाज’’ के नारे को साकार रूप देने में सच्ची पहल होगी। सिंह ने कहा कि मैं आज इस विश्वविद्यालय को एक दायित्व सौंपना चाहता हूँ। यह विश्वविद्यालय महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की निर्वाण भूमि पर स्थापित है। विश्वविद्यालय का नाम भी महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के नाम पर है। विश्वविद्यालय में महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के नाम पर शोध पीठ की स्थापना भी हो गई है। गो टु वेदाज का नारा केवल 19वीं सदी के लिए ही प्रासांगिक नहीं था, बल्कि इसकी उपादेयता आज 21वीं सदी में भी उतनी ही है। यह सार्वकालिक ज्ञान, विज्ञान एवं आध्यात्म की कुंजी है। सिंह ने मौके पर ही महर्षि दयानन्द सरस्वती शोध पीठ के लिए एक करोड़ रूपये की राशि का चौक विश्वविद्यालय के कुलपति भगीरथ सिंह को सौंपा।

सिंह ने युवा पीढ़ी को जीवन की सफलता का सूत्र बताया। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी आत्मविश्वास, सकारात्मक सोच के साथ लक्ष्य निर्धारित रखे और संसाधनों का समुचित उपयोग करते हुए सही समय पर सही निर्णय ले तो जीवन में सफलता ही सफलता मिलेगी। उन्होंने स्वावलम्बन और सहयोग को मानव जीवन की सफलता की कुंजी बताया है।

सिंह ने कहा कि शिक्षा एक सांचा है, जिसमें समग्र जीवन को ढ़ाला जा सकता है। सांचा जैसा होता है, उसी प्रकार के पात्र उसमें ढ़लकर निकलते हैं। अर्थात् हमें ऐसी शिक्षा चाहिए, जिससे सकारात्मक सोच वाले व्यक्तियों का निर्माण हो सके। विश्वविद्यालय की मर्यादा एवं गरिमा को बनाये रखने का दायित्व हम सभी पर है। परिसरों में संसाधनों के लिए सरकार हरसंभव प्रयासरत है। देश की गुरू गौरव गाथा को अदम्य उत्साह के साथ युवा पीढ़ी आगे बढ़ाये।

समारोह के मुख्य अतिथि एवं नोबल पुरस्कार प्राप्त कैलाश सत्यार्थी ने विद्यार्थियों को इतिहास पढ़ने वाले नहीं इतिहास की रचना करने वाले नौजवान बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आगे बढ़ने के तीन रास्ते होते है। पहला रास्ता कैरियर के नाम पर सामान्य होता है। इसे अधिकतर डिग्री प्राप्त युवा चुनना चाहते है। यह रास्ता बना बनाया राजमार्ग की तरह होता है। इसके लिए विशेष परिश्रम की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन यहां भीड़ जरूर होती है। दूसरा रास्ता थोड़ा कठिनाइयों से भरा होता है। इसे पगडण्डी की संज्ञा दी जा सकती है। इस पर कम व्यक्ति ही चलते है। तीसरा रास्ता स्वयं के अन्दर का होता है। इस पर बिरले ही चलते है। इस रास्ते पर चलने वालों को स्वयं ही रास्ता बनाना होता है और स्वयही मंजिल तय करनी पड़ती है। इसे चुनने वाला इतिहास बनाता है और बदलता है। मैदान के बाहर खड़े होकर तालियां बजाने से बेहतर है जीत हार की परवाह किए बिना मैदान ए जंग में शरीक होना उत्तम है।

उन्होंने कहा कि राजस्थान गरिमा, अस्मिता एवं साहस का प्रदेश है। यहां की बेटिया प्रत्येक क्षेत्र में अग्रिण है। माता-पिता और परिवार के द्वारा सीखाएं गए जीवन के पाठ से ही विद्यार्थी उपाधि प्राप्त करने के योग्य होता है। इनके प्रति सदैव कृतज्ञ रहना चाहिए। शैक्षिक संस्थानों द्वारा प्रदान की गई डिग्री जिन्दगी के दो अध्यायों के मध्य पुल का कार्य करते है। यह डिग्री कक्षा कक्ष से व्यवहारिक ज्ञान की दूनिया में ले जाती है। डिग्री प्राप्त करने के पश्चात का समय परिवार और समाज को लौटाने के लिए होता है। शिक्षा हमें दीपक बनने की प्रेरणा देती है। इसकी रोशनी मानवता के लिए होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारत में ज्ञान, लक्ष्मी और बल की देवी मानी गई है। यह हमे महिलाओं के प्रति सम्मान के संस्कार देती है। बलात्कार जैसी घीनौनी हरकते भारतीय संस्कृति और संस्कारों के लिए चुनौति है। इसे रोकने के लिए पुलिस और समाज को मिलकर कार्य करना होगा। शिक्षक विद्यार्थी को संस्कार और शिक्षा देता है। गुरू इन शिक्षा और संस्कारों को जीवन में जीता है। भय मुक्त सुरक्षित समाज एवं भारत के निर्माण में सबका सहयोग अपेक्षित है।

समारोह में तकनीकी, उच्च तथा संस्कृत शिक्षा और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग मंत्री किरण माहेश्वरी ने कहा कि भारत की बेटिया गोल्ड मेडल ले रही है। अब भारत को आगे बढ़ने के लिए नयी गति मिलेगी। राज्यपाल कल्याण सिंह द्वारा दीक्षांत समारोह में भारतीय वेशभूषा अपनाने के निर्देश प्रदान किए थे। साथ ही प्रत्येक विश्वविद्यालय को कुल गीत, समय पर डिग्री मिलना सुनिश्चित करने जैसे सुधारात्मक कदम उठाने के लिए कहा गया था। इन्हीं का परिणाम है कि समस्त विश्वविद्यालयों के सिस्टम में परिवर्तन आया है।

समारोह में मंगलम भवन का लोकार्पण किया गया साथ ही समावर्तन स्मारिका का विमोचन भी किया। राज्यपाल ने इस मौके पर विश्वविद्यालय परिसर में पौधारोपण करके पर्यावरण चेतना का संदेश दिया। कुलपति प्रो.भगीरथ सिंह ने विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल, संसदीय सचिव सुरेश सिंह रावत, विधायक भागीरथ चौधरी एवं शंकर सिंह रावत, जिला प्रमुख वंदना नोगिया, नगर निगम महापौर धर्मेंद्र गहलोत, राजभवन के विशेषाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय, पुलिस महानिरीक्षक मालिनी अग्रवाल, जिला कलेक्टर गौरव गोयल, जिला पुलिस अधीक्षक  राजेन्द्र सिंह एवं विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. बी.पी.सारस्वत सहित गणमान्य नागरिक, विद्यार्थी एवं अभिभावक उपस्थित थे।

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