भास्कर का बहिष्कार : आज से कभी भी ये अखबार नहीं पढ़ेंगे आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी
जयपुर। राजस्थान में सबसे चर्चित एवं दबंग आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी एक बार फिर से सुर्खियों में है, लेकिन इस बार इसकी वजह कुछ अजीब सी है। अक्सर किसी भ्रष्ट अधिकारी पर हमला बोलने के लिए पहचाने जाने वाले पंकज चौधरी ने इस बार किसी व्यक्ति या अधिकारी के खिलाफ हमला नहीं बोला है, बल्कि इस बार उनका प्रहार एक मीडिया संस्थान पर है। इस मीडिया संस्थान की कथित तौर पर झूठी खबरों से आहत होकर पंकज चौधरी ने इस संस्थान के अखबार का बहिष्कार शुरू कर दिया है, जिसके चलते आज से ही उन्होंने अपने घर पर आने वाले अखबारों में से इस संस्थान के अखबार को आजीवन बैन कर दिया है।
आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी इस अखबार की खबरों से इस कदर आहत हुए हैं कि उन्होंने ये संकल्प लिया है कि 1 सितम्बर से दैनिक भास्कर अखबार को न तो खुद पढ़ेंगे और न ही अपने किसी करीबी को ये अखबार पढ़ने का सुझाव देंगे। चौधरी ने दैनिक भास्कर का बहिष्कार करते हुये 1 सितंबर से अपने आवास पर आने वाले समाचार पत्रों में से एक दैनिक भास्कर को आजीवन बैन कर दिया है।
जी हां, मामला थोड़ा अजीब सा जरूर है, लेकिन है बड़ा रौचक। हो भी क्यों नहीं, क्योंकि अक्सर किसी के बारे में कुछ बयानबाजी कर सुर्खियों में रहने वाले पंकज चौधरी ने इस बार खुद को मीडिया महारथी मानने वाले मीडिया संस्थान दैनिक भास्कर के अखबार पर हमला बोला है। दरअसल, चौधरी ने भास्कर की कथित तौर पर झूठी और मनगढ़त खबरें छापे जाने से आहत होकर भास्कर का बहिष्कार शुरू किया है। चौधरी ने संकल्प लिया है कि आज से यानि 1 सितंबर से ही उनके घर पर आने वाले अखबारों में से दैनिक भास्कर को आजीवन के लिए बैन कर दिया है।
आखिर क्या है मामला :
चलिए, अब आपको थोड़ा विस्तार से बता देते हैं कि आखिर ये मामला है क्या। दरअसल, 19 अगस्त को दैनिक भास्कर अखबार ने अपने पहले पेज पर 'आईपीएस पंकज चौधरी का एक इंक्रीमेंट रोका' शीर्षक के साथ पंकज चौधरी के इंक्रीमेंट रोकने की खबर छापी थी। इस पर आईपीएस चौधरी ने इंक्रीमेंट रोकने जैसी बात की जानकारी संघलोक सेवा आयोग दिल्ली से प्राप्त की तो पता चला कि कोई इंक्रीमेंट नहीं रोका गया है। इस बात को लेकर चौधरी का कहना है कि इतना बड़ा अखबार कैसे झूठी एवं निराधार खबर छाप सकता है। यह जांच का विषय है एंव दोषियों पर कार्यवाही होनी चाहिए।
बढ़ सकती है सम्पादक की मुश्किलें :
इस मामले में पंकज चौधरी ने 30 अगस्त को भेजे गए ज्ञापन में दैनिक भास्कर के सम्पादक लक्ष्मीपंत से झूठी खबर छापने पर जवाब मांगा है। साथ ही चौधरी संभवतया इस झूठ पर संपादक पर जल्द मानहानि व अन्य क़ानूनी कार्यवाही करने वाले हैं। आईपीएस चौधरी को अंदेशा है कि शायद हो सकता है, इसमें सजिशकर्ताओं का कोई बड़ा गिरोह सक्रिय हो, ऐसे में इसकी अविलम्ब जांच होनी चाहिए, क्योंकि उनके निशाने पर राज्य के कई भ्रष्ट आईपीएस, आईएएस व कई अन्य राजनेता रहे हैं। इसमें फेहरिस्त में प्रमुख तौर पर प्रमुख शासन सचिव आईएएस तन्मय कुमार, एडीजीपी राजीव दासौत के नाम शामिल है। गौरतलब है कि हाल में राजीव दासौत के खिलाफ जांच करने के लिए कार्मिक विभाग ने होम को पत्र जारी किया है। बहरहाल, ऐसे में अब देखने वाली बात ये है कि राज्य सरकार दोनों अधिकारियों पर क्या कारवाई सुनिश्चित करती है या फिर मामला केन्द्र के पाले में जाएगा।
पंकज चौधरी से सम्बंधित अन्य खबरें भी पढ़ें :
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जी हां, मामला थोड़ा अजीब सा जरूर है, लेकिन है बड़ा रौचक। हो भी क्यों नहीं, क्योंकि अक्सर किसी के बारे में कुछ बयानबाजी कर सुर्खियों में रहने वाले पंकज चौधरी ने इस बार खुद को मीडिया महारथी मानने वाले मीडिया संस्थान दैनिक भास्कर के अखबार पर हमला बोला है। दरअसल, चौधरी ने भास्कर की कथित तौर पर झूठी और मनगढ़त खबरें छापे जाने से आहत होकर भास्कर का बहिष्कार शुरू किया है। चौधरी ने संकल्प लिया है कि आज से यानि 1 सितंबर से ही उनके घर पर आने वाले अखबारों में से दैनिक भास्कर को आजीवन के लिए बैन कर दिया है।
आखिर क्या है मामला :
चलिए, अब आपको थोड़ा विस्तार से बता देते हैं कि आखिर ये मामला है क्या। दरअसल, 19 अगस्त को दैनिक भास्कर अखबार ने अपने पहले पेज पर 'आईपीएस पंकज चौधरी का एक इंक्रीमेंट रोका' शीर्षक के साथ पंकज चौधरी के इंक्रीमेंट रोकने की खबर छापी थी। इस पर आईपीएस चौधरी ने इंक्रीमेंट रोकने जैसी बात की जानकारी संघलोक सेवा आयोग दिल्ली से प्राप्त की तो पता चला कि कोई इंक्रीमेंट नहीं रोका गया है। इस बात को लेकर चौधरी का कहना है कि इतना बड़ा अखबार कैसे झूठी एवं निराधार खबर छाप सकता है। यह जांच का विषय है एंव दोषियों पर कार्यवाही होनी चाहिए।
बढ़ सकती है सम्पादक की मुश्किलें :
इस मामले में पंकज चौधरी ने 30 अगस्त को भेजे गए ज्ञापन में दैनिक भास्कर के सम्पादक लक्ष्मीपंत से झूठी खबर छापने पर जवाब मांगा है। साथ ही चौधरी संभवतया इस झूठ पर संपादक पर जल्द मानहानि व अन्य क़ानूनी कार्यवाही करने वाले हैं। आईपीएस चौधरी को अंदेशा है कि शायद हो सकता है, इसमें सजिशकर्ताओं का कोई बड़ा गिरोह सक्रिय हो, ऐसे में इसकी अविलम्ब जांच होनी चाहिए, क्योंकि उनके निशाने पर राज्य के कई भ्रष्ट आईपीएस, आईएएस व कई अन्य राजनेता रहे हैं। इसमें फेहरिस्त में प्रमुख तौर पर प्रमुख शासन सचिव आईएएस तन्मय कुमार, एडीजीपी राजीव दासौत के नाम शामिल है। गौरतलब है कि हाल में राजीव दासौत के खिलाफ जांच करने के लिए कार्मिक विभाग ने होम को पत्र जारी किया है। बहरहाल, ऐसे में अब देखने वाली बात ये है कि राज्य सरकार दोनों अधिकारियों पर क्या कारवाई सुनिश्चित करती है या फिर मामला केन्द्र के पाले में जाएगा।
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