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राजकीय संग्रहालय में विरासत संवाद का आयोजन, कला उत्सव में आज रहेगी राजस्थान दिवस की गूँज

अजमेर। शहर का नागरिक होने के नाते इस तरह शहर से प्यार करना चाहिए जैसे हम अपने परिवार से करते हैं, उक्त विचार सुप्रसिद्ध साहित्यकार पद्म श्री डॉ सी पी देवल ने राजकीय संग्रहालय में पृथ्वीराज फाउंडेशन और लोक कला संस्थान के तत्वावधान में आयोजित विरासत संवाद में व्यक्त किये।

अजमेर व राजस्थान दिवस के अवसर पर अजमेर जिला प्रशासन, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग राजस्थान, अजमेर विकास प्राधिकरण की ओर से  आयोजित चार दिवसीय कला उत्सव में इस संगोष्ठी का आयोजन किया गया।  जिसमे देवल ने कहा कि अजमेर अपने आप में विरासत का शहर है जो राजस्थान में सबसे अंत में मिलने वाला शहर था जिसका 1956 में राजस्थान में विलय हुआ। अजमेर की अपनी विधानसभा थी, अपना मुख्यमंत्री था, अपन सचिवालय था, अपने मंत्री थे, अपने विपक्ष के नेता थे।  जिस समय अजमेर राजस्थान में सम्मिलित हुआ तब दया के रूप में नहीं मिला हुआ था बल्कि बहुत गरिमा वाला इलाका था जहां डेमोक्रेसी पहले ही आ चुकी थी।  सबसे अंत में विलय के बावजूद पूरे राजस्थान के सबसे पुराने शहरों में अजमेर का नाम आता है और यही कारण है कि अजमेर आर जे 01 बनता है, अजमेर में यही खासियत है। उन्होंने कला उत्सव के आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि अजमेर में एक के बाद एक कलात्मक गतिविधियों का सिलसिला जो चल रहा है वह अति प्रशंसनीय है।

अजमेर विकास प्राधिकरण के आयुक्त निशांत जैन ने विरासत संवाद की प्रशंसा करते हुए कहा कि जिस शहर के युवा, विद्यार्थी अपनी जीवंत धरोहरों को संभाल के उनकी बातों को ध्यान से मन में अंकित कर रहे हैं उस शहर की कला और संस्कृति के भविष्य को कोई खतरा एक सदी तक नहीं हो सकता। कई बार हम लोग धरोहर का अर्थ स्थापत्य कला को ही समझते हैं जबकि उसके व्यापक अर्थ को अनदेखा कर देते हैं। वैदिक मंत्रोच्चार, गुरुवाणी, शबद, सत्संग भी एक जिंदा धरोहर है। गांव में पुराना बरगद का पेड़ भी हमारी धरोहर है, हमारे आस पास बहुत सारी धरोहर है और सबसे बड़ी धरोहर हमारे बुजुर्ग दादा दादी, माता पिता, नाना नानी है, उनके किस्से कहानियां हमारी सबसे अनमोल विरासत है।

पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के वृत्त अधीक्षक नीरज त्रिपाठी ने कहा कि किसी देश की पहचान उसके विरासत और ऐतिहासिक स्मारकों से होती है। हमें गर्व होना चाहिए कि हम सातवीं सदी के ऐतिहासिक शहर अजमेर में रहते हैं और शास्त्रों में वर्णित चारों युगों में से सतयुग मैं सनातन व परम तीर्थ पुष्कर को माना गया है। अजमेर में विरासत और प्राचीन धरोहरों के माध्यम से पर्यटन की अपार संभावना है यदि हम लोग स्वार्थ से ऊपर उठकर प्राचीन धरोहरों- इमारतों को बचाने का प्रयास करें, कहीं त्याग की जरूरत पड़े तो वह भी करे तभी जो हमें धरोहरों से मिला है वहां हम आने वाली पीढ़ी को दे पाएंगे त्रिपाठी ने संग्रहालय के पास मिनी थिएटर व आर्ट गैलरी बनाने का विचार भी रखा।

पृथ्वीराज फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ पूनम पांडे ने कहा कि  सिर्फ प्राचीन इमारतें ही हमारी विरासत नहीं अपितु कला, धर्म, संवाद, संस्कार, जीवन शैली सभी में हमारी विरासत विद्यमान है। हमारे जीवन को जीने का अंदाज विरासत से जुड़ना चाहिए तो जीवन का असली मजा आता है।

कार्यक्रम संयोजक दीपक शर्मा व संजय सेठी ने बताया कि शुक्रवार को स्कूलों के विद्यार्थी राष्ट्रीय संग्रहालय पहुंचे व कलात्मक गतिविधियां देखें साथ ही स्वीप की गतिविधियों से भी रूबरू हुए। अशोक शर्मा, अजय शर्मा, शिखा शर्मा ने मतदान के लिए प्रेरित करते हुए राजस्थानी लोक नृत्यों की प्रस्तुतियां दी।  भरी संख्या में वोट गुरुओ ने भी भाग लिया।

संवाद में अमर सिंह, नदीम खान, सीपी कटारिया, कुलदीप सोनी, राजेश कश्यप ने अतिथियों का स्वागत किया। उप जिला शिक्षा अधिकारी अरुण शर्मा, राजेश कश्यप, ऋषि राज सिंह, लक्ष्यपाल सिंह राठौड़, विनय शर्मा ने स्मृति चिन्ह भेंट किए राजकीय संग्रहालय की कस्टोडियन रूमा आजम ने आभार प्रदर्शन किया।

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