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कुशल प्रबंधन के चलते 10 हजार कुपोषित बच्चे हुए स्वतंत्र

Jaipur, Udaipur, Rajasthan, Malnutrition, Kuposhan
उदयपुर। प्रदेश के दस उच्च प्राथमिकता वाले एवं 3 जनजातीय जिलों में चिकित्सा विभाग तथा एसीएफ व यूनीसेफ, गेन डवलपमेंट पार्टनर के तकनीकी सहयोग से संपादित समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन कार्यक्रम से दस हजार से अधिक कुपोषित बच्चे आज पूर्ण स्वतंत्र हो सामान्य जीवन जी रहे हैं। इस बहुआयामी कार्यक्रम की सफलता से प्रेरित होकर इसका दूसरा चरण संचालित करने की तैयारियां की जा रही हैं।

स्वास्थ्य सचिव एवं मिशन निदेशक एनएचएम नवीन जैन ने शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय संगठन एसीएफ द्वारा पोषण विषय पर आयोजित मीडिया कार्यशाला को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्वस्थ जीवन के लिए पर्याप्त पोषण आवश्यक है। नवजात शिशु को उचित पोषण की  आवश्यकता होती है।

उन्होंने बताया कि विभिन्न शोध विश्लेषणों से स्पष्ट है कि अति गम्भीर कुपोषित बच्चों में मौत की सम्भावना सामान्य बच्चों से नौ गुना अधिक होती है। समुदाय आधारित प्रबंधन कार्यक्रम 85 से 90 प्रतिषत तक अतिकुपोषित बच्चों को समुदाय स्तर पर स्वस्थ करने के उद्धेश्य से ही बारां, बाड़मेर, बांसवाडा, बूंदी, धोलपुर, डूंगरपुर, जैसलमेर, जालोर, करौली, प्रतापगढ़, राजसमन्द, सिरोही व उदयपुर के 41 खण्डों के 1731 गांवों में कुपोषण से ग्रसित बच्चों की तकनीकी विधियों से लगभग 2 लाख 34 हजार की स्क्रीनिंग की गयी एवं चयनित 9 हजार 529 अतिकुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें विशेष निगरानी में रखकर कुपोषण मुक्त करने में सफलता प्राप्त की गई।

जैन ने बताया कि 12 हजार 654 मध्यम गम्भीर कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्र से जोड़कर पूरक पोषाहार देने की व्यवस्था की गयी थी एवं 406 चिकित्सकीय जटिलता वाले बच्चों को उपचार हेतु कुपोषण उपचार केन्द्र भी भेजा गया।

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