सरकारी जमीन पर कब्जे के मामले में हनुमान बेनीवाल ने लगाया सरकार व अधिकारियों पर आरोप
जयपुर। राजस्थान विधानसभा में चल रहे बजट सत्र के दौरान आज खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल ने सरकारी जमीन पर कब्जे का मामला उठाते हुए सरकार एवं अधिकारियों पर आरोप लगाया। बेनीवाल की ओर से पर्ची के जरिए उठाए गए सोडाला में सिलिंग एक्ट के तहत ली गई 12 बीघा 7 बिस्वा बेशकीमती जमीन पर कथित भूमाफिया द्वारा कब्जा करने के मामले को लेकर एकबारगी तो सरकार की सांस फूलती हुई नजर आई।
इस बीच विधानसभा उपाध्यक्ष के हस्तक्षेप किए जाने के बाद नगरीय विकास मंत्री श्रीचंद कृपलानी ने जवाब दिया कि यह सही है कि इस जमीन का मुआवजा दिया गया है, लेकिन उस वक्त सिविल न्यायालय में रेफरेंस दायर किया गया था। वहीं जेडीए ने भी माना है कि मुआवजा गलत तरीके से दिया गया। उन्होंने कहा कि इस मामले में 3 माह में जांच कराकर हकीकत सामने लाई जाएगी।
बिधायक हनुमान बेनीवाल ने सरकार का ध्यानाकर्षण किया कि सीलिंग एक्ट के तहत यह जमीन सरकार के पास आ गई थी। इसके बावजूद जेडीए ने 10.95 लाख का मुआवाजा दे दिया। जबकि, यह हो ही नहीं सकता। जेडीए की जांच में सामने आ चुका है कि गलत तरीके से मुआजवा दिया गया। यहां तक की मुआवजा राशि ब्याज के साथ वापिस लेने के भी आदेश हो गए। यहां तक महाधिवक्ता से भी राय ले ली गई। इसके बावजूद जेडीए इस बेशकीमती जमीन का कब्जा नहीं ले रहा है। यहां अब योजना सृजित करने या बेचान करने किया जा रहा है।
मामले को लेकर विधानसभा में काफी देर तक तीखी नोख झोंख चलती। वहीं विधायक बेनीवाल ने मामले को गंभीर बताते हुए लगातार जांच की मांग की और सरकारी अधिकारियों पर मिलिभगत का आरोप लगाया। बबेनीवाल ने कहा कि यह एक संगीन मामला है, जिसकी जांच की जानी चाहिए और जांच में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए।
इस बीच विधानसभा उपाध्यक्ष के हस्तक्षेप किए जाने के बाद नगरीय विकास मंत्री श्रीचंद कृपलानी ने जवाब दिया कि यह सही है कि इस जमीन का मुआवजा दिया गया है, लेकिन उस वक्त सिविल न्यायालय में रेफरेंस दायर किया गया था। वहीं जेडीए ने भी माना है कि मुआवजा गलत तरीके से दिया गया। उन्होंने कहा कि इस मामले में 3 माह में जांच कराकर हकीकत सामने लाई जाएगी।
बिधायक हनुमान बेनीवाल ने सरकार का ध्यानाकर्षण किया कि सीलिंग एक्ट के तहत यह जमीन सरकार के पास आ गई थी। इसके बावजूद जेडीए ने 10.95 लाख का मुआवाजा दे दिया। जबकि, यह हो ही नहीं सकता। जेडीए की जांच में सामने आ चुका है कि गलत तरीके से मुआजवा दिया गया। यहां तक की मुआवजा राशि ब्याज के साथ वापिस लेने के भी आदेश हो गए। यहां तक महाधिवक्ता से भी राय ले ली गई। इसके बावजूद जेडीए इस बेशकीमती जमीन का कब्जा नहीं ले रहा है। यहां अब योजना सृजित करने या बेचान करने किया जा रहा है।
मामले को लेकर विधानसभा में काफी देर तक तीखी नोख झोंख चलती। वहीं विधायक बेनीवाल ने मामले को गंभीर बताते हुए लगातार जांच की मांग की और सरकारी अधिकारियों पर मिलिभगत का आरोप लगाया। बबेनीवाल ने कहा कि यह एक संगीन मामला है, जिसकी जांच की जानी चाहिए और जांच में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए।
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