धूमधाम से मनाया स्वामी ब्रह्मानन्द शास्त्री का 74वां जन्मोत्सव
अजमेर। प्रेम प्रकाश आश्रम देहली गेट अजमेर के अध्यक्ष स्वामी ब्रह्मानन्द शास्त्री का 74वां जन्मोत्सव आज आश्रम परिसर में धूमधाम से मनाया गया। यह जानकारी देते हुए आश्रम के संत ओमप्रकाश शास्त्री ने बताया कि स्वामी बसंतराम सेवा ट्रस्ट व समस्त प्रेमियों की ओर से मनाये गये उत्सव के अंतर्गत आज आश्रम को भव्य रूप से सजाया गया। प्रातःकाल स्वामी जी द्वारा सारे विश्व कल्याणार्थ हवन किया गया व आश्रम में स्थापित स्वामी टेऊँराम, स्वामी बसंतराम व अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों पर माल्यार्पण करके आशीर्वाद प्राप्त किया गया। सुबह से ही आश्रम परिसर में कई श्रद्धालु स्वामी जी को जन्मदिवस की बधाई देने के लिए केक व मालाओं के साथ पहुँचें। शाम को जन्मोत्सव की शुरुआत सूरत से आये स्वामी टेऊँराम मण्डली के प्रताप तनवानी के भजन द्वारा हुई।
आश्रम के सेवादारियों व प्रेमियों द्वारा स्वामी जी का पुष्प बिछाकर, गुलाब-जल छिड़ककर, टीका लगाकर व आरती के द्वारा भव्य अभिनन्दन किया गया। साथ ही आश्रम की भव्य सजावट के बीच स्वामी जी द्वारा 74 दीपों का प्रज्जवलन किया गया। वहां उपस्थित सूरत, आगरा, जयपुर आदि नगरों से आये श्रद्धालुओं सहित स्थानीय प्रेमियों की उपस्थिति में स्वामी ब्रह्मानन्द शास्त्री द्वारा केक काटा गया तथा संत ओमप्रकाश व संत राजूराम द्वारा स्वामी जी को श्रद्धापूर्वक माला, मुकुट व साफा पहनाया गया।
इस अवसर पर सूरत से आई हुई स्वामी टेऊँराम मण्डली के साथ प्रताप तनवानी व साथियों द्वारा ”वाधायूं वाधायूं लख लख वाधायूं गुरूअ जे जन्म जूं लख लख वाधायूं,“ संत ओम प्रकाश द्वारा ”मधुबन की लताओं में गुरूदेव तुम्हें देखूँ“, निरंजन जोशी द्वारा ”ऐ री सखी मंगल गाओ री“ आदि भजन प्रस्तुत कर उपस्थित श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इसी के साथ ममता तुल्सियानी, हशू आसवानी, सुनीता भागचन्दानी, संत मोहित प्रेमप्रकाशी आदि ने भी सुंदर भजनों की प्रस्तुतियाँ दी व उपस्थित सभी श्रद्धालुओं ने स्वामीजी की दीर्घायु व स्वास्थ्य के लिए मंगल कामना की। तत्पश्चात स्वामी ब्रह्मानन्द शास्त्री ने आर्शीवचन देते हुए कहा कि सत्परुषों का जन्म अनुयायियों के कल्याण के लिये होता है व भक्तों को चाहिये कि गुरू के चरणों में समर्पण की भावना लेकर जनकल्याण के कार्य व सेवा कर अपना जीवन सफल बनाएं। कार्यक्रम की समाप्ति आरती, प्रसाद वितरण व भंडारे के साथ हुई।
आश्रम के सेवादारियों व प्रेमियों द्वारा स्वामी जी का पुष्प बिछाकर, गुलाब-जल छिड़ककर, टीका लगाकर व आरती के द्वारा भव्य अभिनन्दन किया गया। साथ ही आश्रम की भव्य सजावट के बीच स्वामी जी द्वारा 74 दीपों का प्रज्जवलन किया गया। वहां उपस्थित सूरत, आगरा, जयपुर आदि नगरों से आये श्रद्धालुओं सहित स्थानीय प्रेमियों की उपस्थिति में स्वामी ब्रह्मानन्द शास्त्री द्वारा केक काटा गया तथा संत ओमप्रकाश व संत राजूराम द्वारा स्वामी जी को श्रद्धापूर्वक माला, मुकुट व साफा पहनाया गया।
इस अवसर पर सूरत से आई हुई स्वामी टेऊँराम मण्डली के साथ प्रताप तनवानी व साथियों द्वारा ”वाधायूं वाधायूं लख लख वाधायूं गुरूअ जे जन्म जूं लख लख वाधायूं,“ संत ओम प्रकाश द्वारा ”मधुबन की लताओं में गुरूदेव तुम्हें देखूँ“, निरंजन जोशी द्वारा ”ऐ री सखी मंगल गाओ री“ आदि भजन प्रस्तुत कर उपस्थित श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इसी के साथ ममता तुल्सियानी, हशू आसवानी, सुनीता भागचन्दानी, संत मोहित प्रेमप्रकाशी आदि ने भी सुंदर भजनों की प्रस्तुतियाँ दी व उपस्थित सभी श्रद्धालुओं ने स्वामीजी की दीर्घायु व स्वास्थ्य के लिए मंगल कामना की। तत्पश्चात स्वामी ब्रह्मानन्द शास्त्री ने आर्शीवचन देते हुए कहा कि सत्परुषों का जन्म अनुयायियों के कल्याण के लिये होता है व भक्तों को चाहिये कि गुरू के चरणों में समर्पण की भावना लेकर जनकल्याण के कार्य व सेवा कर अपना जीवन सफल बनाएं। कार्यक्रम की समाप्ति आरती, प्रसाद वितरण व भंडारे के साथ हुई।
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