महापौर लाहोटी और निगम कमिश्नर भी हैं भ्रष्टाचार में शामिल : ज्योति खंडेलवाल
जयपुर। जयपुर नगर निगम की पूर्व महापौर एवं पीसीसी महासचिव ज्योति खंडेलवाल ने महापौर अशोक लाहोटी एवं पूर्व कमिश्नर हेमन्त गेरा के खिलाफ सीबीआई मे शिकायत की है। इसमें पूर्व मेयर ने आरोप लगाया है कि मेयर अशोक लाहोटी एवं पूर्व कमिश्नर भी भष्टाचार में शामिल है, क्योंकि वे ठेकेदारों पर कार्यवाही करने की बजाय उन्हें बचा रहे हैं।
पूर्व महापौर ज्योति खंडेलवाल ने इस सम्बंध में कार्यवाही किए जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भी पत्र भेजा है। गौरतलब है कि नगर निगम में कार्यरत कर्मचारियों की ईएसआई एवं पीएफ राशि के मामले में पूर्व मेयर ज्योति खंडेलवाल लगातार निगम के पदाधिकारियों एवं अधिकारियों पर हमला बोलती आई हैं।
यह भी पढ़ें : पूर्व महापौर की शिकायत पर जयपुर नगर निगम में सबसे बड़े घोटाले का खुलासा
पूर्व महापौर ने अपने पत्र में लिखा है कि जयपुर नगर निगम के वर्तमान महापौर, आयुक्त एवं अन्य अधिकारियों व संवेदकों की सर्विस टेक्स, ईएसआई, एवं पीएफ विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत के चलते हो रहे भ्रष्टाचार बाबत एक शिकायत पूर्व में जब मैं महापौर के पद पर जयपुर नगर निगम में कार्यरत थीं, तब आपके विभाग में तत्कालीन अधीक्षक अनीष प्रसाद के समक्ष स्वयं उपस्थित होकर की थी एवं उन्होंने उस समय शिकायत पर शीघ्र जांच कर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया था, लेकिन आपके विभाग द्वारा इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गई।
इसके बाद 18 मई 2016 को मैंने आपको आपके कार्यालय में इस बाबत शिकायत की थी एवं आपने भी इस पर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया था, लेकिन 1 वर्ष से अधिक समय होने के बावजूद एक बार फिर आप द्वारा भी इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गई, जिसके परिणाम स्वरूप आज तक जनता के गाढ़े पैसे की कमाई से अर्जित राजकोष की राशि भ्रष्टाचार में जा रही है एवं इसके कारण न केवल जयपुर शहर की सफाई व्यवस्था व अन्य कार्य प्रभावित हो रहे हैं, अपितु गरीब व मेहनतकश कर्मचारियों का भी लगातार शोषण हो रहा है।
ईएसआई विभाग की दिल्ली से भी टीम आई थी एवं उन्होंने इसकी जांच भी प्रारम्भ की थी, लेकिन इन विभागों के अधिकारियों ने उन सब के बावजूद आज तक इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कठोर कदम नहीं उठाये। नगर निगम में पूर्व कार्यरत वित्तिय सलाहकार इन्द्रराज सिंह ने भी इन अनियमितताओं पर कार्यवाही करने के लिए सरकार को पत्र लिखा था, लेकिन निगम के जनप्रतिनिधियों एवं अन्य प्रभावशाली अधिकारियों की मिलीभगत के चलते इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।
उन्होंने पत्र में आगे लिखा कि, मेरे द्वारा की गई शिकायत पर पीएफ विभाग ने 7ए की कार्यवाही के तहत गहन जाॅंच करने के बाद नगर निगम के 7 ठेकेदारों पर बकाया राशि निकालते हुए 22 करोड़ 94 लाख 85 हजार 16 रुपए का नोटिस दिया और प्रधान नियोक्ता नगर निगम को दोषी मानते हुए इस राशि को 15 दिनों में जमा कराने के आदेश दिये थे, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से जयपुर नगर निगम के वर्तमान मेयर अशोक लाहोटी एवं पूर्व कमिश्नर हेमन्त गेरा ने ठेकेदारों के खिलाफ कार्यवाही करने की बजाय उन्हें बचाने का प्रयास किया। जबकि जयपुर नगर निगम द्वारा ठेकेदारों को ईएसआई, पीएफ एवं सर्विस टेक्स की मद में करोडों रुपए का भुगतान किया जा चुका है।
पूर्व मेसर ने बताया कि, जयपुर नगर निगम में अस्थाई कर्मचारियों का लगातार शोषण किया जा रहा है। उनके ईएसआई, पीएफ का पैसा जमा नहीं करवाया जा रहा है। साथ ही सर्विस टेक्स की भी चोरी की जा रही है। पूर्व में ईएसआई विभाग ने भी 2 करोड़ 47 लाख 40 हजार 112 रुपए बकाया निकाला था। इस बाबत जयपुर नगर निगम को पत्र भी भेजा गया था, लेकिन इन सबका जयपुर नगर निगम प्रशासन पर कोई असर नहीं पडा। इसके अतिरिक्त केन्द्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्तालय ने भी जयपुर नगर निगम के ठेकेदार फर्म प्रहरी प्रोटेक्शन सिस्टम प्रा. लिमिटेड के ठेकेदारों के खिलाफ न्यायालय में सर्विस टेक्स चोरी के मामले में मुकदमा पेश किया है।
उन्होंने बताया कि सर्विस टेक्स विभाग ने प्रहरी प्रोटेक्शन सिस्टम लिमिटेड के निदेशक कमलजीत सिंह और दीपक जैन को 7 करोड 22 लाख रुपए के सर्विस टेक्स की चोरी करने का दोषी माना है। प्रहरी प्रोटेक्शन के निदेशको एवं कर्मचारियों द्वारा यह कहा जाता है कि कितनी भी शिकायत कर लो हमारे खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होगी। इसी वजह से आज तक भी जयपुर नगर निगम में यह घोटाला चल रहा है और इस पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है।
पूर्व महापौर ज्योति खंडेलवाल ने इस सम्बंध में कार्यवाही किए जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भी पत्र भेजा है। गौरतलब है कि नगर निगम में कार्यरत कर्मचारियों की ईएसआई एवं पीएफ राशि के मामले में पूर्व मेयर ज्योति खंडेलवाल लगातार निगम के पदाधिकारियों एवं अधिकारियों पर हमला बोलती आई हैं।
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पूर्व महापौर ने अपने पत्र में लिखा है कि जयपुर नगर निगम के वर्तमान महापौर, आयुक्त एवं अन्य अधिकारियों व संवेदकों की सर्विस टेक्स, ईएसआई, एवं पीएफ विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत के चलते हो रहे भ्रष्टाचार बाबत एक शिकायत पूर्व में जब मैं महापौर के पद पर जयपुर नगर निगम में कार्यरत थीं, तब आपके विभाग में तत्कालीन अधीक्षक अनीष प्रसाद के समक्ष स्वयं उपस्थित होकर की थी एवं उन्होंने उस समय शिकायत पर शीघ्र जांच कर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया था, लेकिन आपके विभाग द्वारा इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गई।
इसके बाद 18 मई 2016 को मैंने आपको आपके कार्यालय में इस बाबत शिकायत की थी एवं आपने भी इस पर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया था, लेकिन 1 वर्ष से अधिक समय होने के बावजूद एक बार फिर आप द्वारा भी इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गई, जिसके परिणाम स्वरूप आज तक जनता के गाढ़े पैसे की कमाई से अर्जित राजकोष की राशि भ्रष्टाचार में जा रही है एवं इसके कारण न केवल जयपुर शहर की सफाई व्यवस्था व अन्य कार्य प्रभावित हो रहे हैं, अपितु गरीब व मेहनतकश कर्मचारियों का भी लगातार शोषण हो रहा है।
ईएसआई विभाग की दिल्ली से भी टीम आई थी एवं उन्होंने इसकी जांच भी प्रारम्भ की थी, लेकिन इन विभागों के अधिकारियों ने उन सब के बावजूद आज तक इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कठोर कदम नहीं उठाये। नगर निगम में पूर्व कार्यरत वित्तिय सलाहकार इन्द्रराज सिंह ने भी इन अनियमितताओं पर कार्यवाही करने के लिए सरकार को पत्र लिखा था, लेकिन निगम के जनप्रतिनिधियों एवं अन्य प्रभावशाली अधिकारियों की मिलीभगत के चलते इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।
उन्होंने पत्र में आगे लिखा कि, मेरे द्वारा की गई शिकायत पर पीएफ विभाग ने 7ए की कार्यवाही के तहत गहन जाॅंच करने के बाद नगर निगम के 7 ठेकेदारों पर बकाया राशि निकालते हुए 22 करोड़ 94 लाख 85 हजार 16 रुपए का नोटिस दिया और प्रधान नियोक्ता नगर निगम को दोषी मानते हुए इस राशि को 15 दिनों में जमा कराने के आदेश दिये थे, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से जयपुर नगर निगम के वर्तमान मेयर अशोक लाहोटी एवं पूर्व कमिश्नर हेमन्त गेरा ने ठेकेदारों के खिलाफ कार्यवाही करने की बजाय उन्हें बचाने का प्रयास किया। जबकि जयपुर नगर निगम द्वारा ठेकेदारों को ईएसआई, पीएफ एवं सर्विस टेक्स की मद में करोडों रुपए का भुगतान किया जा चुका है।
पूर्व मेसर ने बताया कि, जयपुर नगर निगम में अस्थाई कर्मचारियों का लगातार शोषण किया जा रहा है। उनके ईएसआई, पीएफ का पैसा जमा नहीं करवाया जा रहा है। साथ ही सर्विस टेक्स की भी चोरी की जा रही है। पूर्व में ईएसआई विभाग ने भी 2 करोड़ 47 लाख 40 हजार 112 रुपए बकाया निकाला था। इस बाबत जयपुर नगर निगम को पत्र भी भेजा गया था, लेकिन इन सबका जयपुर नगर निगम प्रशासन पर कोई असर नहीं पडा। इसके अतिरिक्त केन्द्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्तालय ने भी जयपुर नगर निगम के ठेकेदार फर्म प्रहरी प्रोटेक्शन सिस्टम प्रा. लिमिटेड के ठेकेदारों के खिलाफ न्यायालय में सर्विस टेक्स चोरी के मामले में मुकदमा पेश किया है।
उन्होंने बताया कि सर्विस टेक्स विभाग ने प्रहरी प्रोटेक्शन सिस्टम लिमिटेड के निदेशक कमलजीत सिंह और दीपक जैन को 7 करोड 22 लाख रुपए के सर्विस टेक्स की चोरी करने का दोषी माना है। प्रहरी प्रोटेक्शन के निदेशको एवं कर्मचारियों द्वारा यह कहा जाता है कि कितनी भी शिकायत कर लो हमारे खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होगी। इसी वजह से आज तक भी जयपुर नगर निगम में यह घोटाला चल रहा है और इस पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है।
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