अजमेर के बहुचर्चित फोटो ब्लैकमेल व दुष्कर्म मामले में आरोपी की जमानत याचिका खारिज
जयपुर। राजस्थान के बहुचर्चित अजमेर सेक्स कांड मामले में राजसथान हाई कोर्ट ने आज आरोपी सैयद सलीम चिश्ती की ओर से 7वीं बार पेश की गई जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले की ट्रायल जल्दी पूरी करने के लिए भी राज्य सरकार को कहा है। न्यायाधीश बनवारीलाल शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश आरोपी सैय्यद सलीम चिश्ती की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
आरोपी की ओर से 7वीं आर पेश की गई याचिका में कहा गया कि इस मामले में उसे 3 जनवरी 2012 में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद पुलिस ने अदालत में उसके खिलाफ 6 जनवरी को आरोप पत्र पेश कर दिया और तभी से वह जेल में बंद है। इसके अलावा प्रकरण की पीड़िताएं भी गवाही के लिए पेश नहीं हो रही है। ऐसे में ट्रायल पूरी होने में लगने वाले समय को देखते हुए उसे जमानत पर रिहा किया जाए।
याचिका में कही गई इस बात का विरोध करते हुए सरकारी वकील सुदेश सैनी ने कहा कि याचिकाकर्ता प्रकरण का मुख्य आरोपी है। उसके पोल्ट्रीफॉर्म पर उसने अन्य अभियुक्तों के साथ मिलकर कई बार पीड़िताओं का दुष्कर्म व अप्राकृतिक कृत्य किया था। इसके अलावा प्रकरण के 167 गवाहों में से 72 गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं। जिन पीड़िताओं के अदालत में नहीं आने की बात कही गई है, वे पूर्व में अदालत में पेश होकर आरोप दोहरा चुकी हैं।
क्या है पूरा मामला :
गौरतलब है कि 30 मई 1992 को तत्कालीन आरपीएस अधिकारी डीएसपी हरिप्रसाद शर्मा जांच के बाद अजमेर के गंज थाने में इस मामले में फोटो खींचकर युवतियों के साथ दुष्कर्म किए जाने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में बताया गया कि एक गिरोह युवतियों की अश्लील फोटो खींचकर उन्हें ब्लैकमेल कर रहा है और कई युवतियों से दुष्कर्म भी किया गया है। रिपोर्ट पर सीआईडी सीबी ने जांच करते हुए 22 पीड़िताओं को ढूंढ निकाला और 18 लोगों को आरोपी बनाया। इनमें से कुछ आरोपियों को सजा हो चुकी है, जबकि दो आरोपी अल्मास महाराज और सोहिल गनी फरार चल रहे हैं।
आरोपी की ओर से 7वीं आर पेश की गई याचिका में कहा गया कि इस मामले में उसे 3 जनवरी 2012 में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद पुलिस ने अदालत में उसके खिलाफ 6 जनवरी को आरोप पत्र पेश कर दिया और तभी से वह जेल में बंद है। इसके अलावा प्रकरण की पीड़िताएं भी गवाही के लिए पेश नहीं हो रही है। ऐसे में ट्रायल पूरी होने में लगने वाले समय को देखते हुए उसे जमानत पर रिहा किया जाए।
याचिका में कही गई इस बात का विरोध करते हुए सरकारी वकील सुदेश सैनी ने कहा कि याचिकाकर्ता प्रकरण का मुख्य आरोपी है। उसके पोल्ट्रीफॉर्म पर उसने अन्य अभियुक्तों के साथ मिलकर कई बार पीड़िताओं का दुष्कर्म व अप्राकृतिक कृत्य किया था। इसके अलावा प्रकरण के 167 गवाहों में से 72 गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं। जिन पीड़िताओं के अदालत में नहीं आने की बात कही गई है, वे पूर्व में अदालत में पेश होकर आरोप दोहरा चुकी हैं।
क्या है पूरा मामला :
गौरतलब है कि 30 मई 1992 को तत्कालीन आरपीएस अधिकारी डीएसपी हरिप्रसाद शर्मा जांच के बाद अजमेर के गंज थाने में इस मामले में फोटो खींचकर युवतियों के साथ दुष्कर्म किए जाने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में बताया गया कि एक गिरोह युवतियों की अश्लील फोटो खींचकर उन्हें ब्लैकमेल कर रहा है और कई युवतियों से दुष्कर्म भी किया गया है। रिपोर्ट पर सीआईडी सीबी ने जांच करते हुए 22 पीड़िताओं को ढूंढ निकाला और 18 लोगों को आरोपी बनाया। इनमें से कुछ आरोपियों को सजा हो चुकी है, जबकि दो आरोपी अल्मास महाराज और सोहिल गनी फरार चल रहे हैं।
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