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राजस्थान मीडिया में 'सबसे पहले' और 'एक्सक्लूसिव' का नया चलन, आखिर कहां जा रहे हैं हम?

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जयपुर (पवन टेलर)। तकनीक के दौर में आज नित नई टेक्नोलॉजी आ रही है और हर चीज फास्ट ही नहीं सुपरफास्ट होती जा रही है। ऐसे में भला मीडिया जगत इससे अछूता कैसे रह सकता है। जी हां, समय के साथ-साथ मीडिया के क्षेत्र में भी टेक्नोलॉजी ने काफी कुछ बदला है और हर चीज को सुपरफास्ट कर दिया है। टेक्नोलॉजी के सहारे ही आज हर मीडिया संस्थान किसी भी खबर को न सिर्फ तुरंत प्राप्त कर रहा है, बल्कि उस खबर को सबसे पहले अपने दर्शकों तक पहुंचा पाने में कामयाब भी हो रहा है। ऐसे में इस सबसे पहले की दौड़ में हर मीडिया संस्थान शामिल होता जा रहा है।

मीडिया जगत में हालांकि एक्सक्लूजिव का चलन तो पहले से चलता आया है, लेकिन तब कोई भी एक्सक्लूजिव खबर अथवा जानकारी सचमुच एक्सक्लूजिव ही हुआ करती थी। यानि वो खबर या जानकारी अन्य किसी मीडिया संस्थान में प्रकाशित नहीं होती थी और लोगों के हितों से जुड़ी हुई हुआ करती थी। एक्सक्लूजिव के इस चलन में अब टेक्नोलॉजी ने 'सबसे पहले' को भी शुमार कर दिया है, जिसके चलते अब हर कोई मीडिया संस्थान अपनी किसी भी खबर को 'सबसे पहले' चलाकर लोगों तक पहुंचाता है।

इन सबसे इतर, बात अगर राजस्थान की करें तो बीते कुछ समय पहले राजस्थान के मीडिया जगत में हुई भारी उठापटक और बदलाव ने 'एक्सक्लूजिव' और 'सबसे पहले' की परिभाषा को ही बदल डाला है। यहां 'एक्सक्लूजिव' और 'सबसे पहले' की दौड़ के चलते अब हालात ये होने लगे हैं कि किसी भी खबर को कभी भी दिखाओ, उस पर 'एक्सक्लूजिव' या फिर 'सबसे पहले' का तमगा प्राथमिकता के साथ चस्पा कर दिया जाने लगा है। 

खास बात ये है कि इस दरमियान कुछ संस्थानों में कुछ खबर या वीडियो ऐसे भी सामने आए हैं, जो किसी अन्य मीडिया संस्थान में प्रकाशित हो जाने के बाद भी उसी खबर या वीडियो को किसी दूसरे मीडिया संस्थान में उसी 'सबसे पहले' के तमगे से सजा दिया गया। ऐसे में दर्शक जिस खबर या वीडियो को पहले से देख चुका है, उसी खबर अथवा वीडियो को किसी दूसरे संस्थान में वो भी 'सबसे पहले' के तमगे के साथ देखकर क्या समझता होगा। इसका अंदाजा भलीभांति लगाया जा सकता है।

हालांकि, इन मीडिया संस्थानों के बीच चल रही इस 'एक्सक्लूजिव' और 'सबसे पहले' की दौड़ में कुछ मीडिया संस्थान ऐसे भी हैं, जिनमें बीते कुछ समय पूर्व हुए भारी बदलाव के बाद अब उन खबरों या जानकारियों को प्राथमिकता दी जाने लगी है, जो लोगों के हितों से जुड़ी होती है या फिर वे सचमुच किसी आमजन के मन को छू लेने वाली होती है। वहीं कुछ संस्थानों में महज टीआरपी की दौड़ के साथ—साथ 'सबसे पहले' की दौड़ में खुद को आगे रखने के लिए चलाई जाने वाली खबरों को प्राथमिकता दी जाने लगी है।

बहरहाल, ऐसे में इस 'एक्सक्लूजिव' और 'सबसे पहले' की दौड़ में हर कोई मीडिया संस्थान जब खुद को आगे और सबसे पहले रखना चाहता है, तो इसके लिए उसे अन्य प्रतिस्पर्धी संस्थानों और उन पर चलने वाली खबरों या वीडियो के बारे में भी भलीभांति जानकारी होना आवश्यक है। तभी तो इस 'एक्सक्लूजिव' और 'सबसे पहले' का सही-गलत का फैसला हो सकेगा।

क्यों? क्या कहते हो जनाब? जरा सोचिए, आखिर कहां जा रहे हैं हम? सहमत हो या असहत, कमेंट बॉक्स में अपने विचार जरूर लिखें।

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